गणेश चतुर्थी आने को अब कुछ ही दिन रह गए हैं लेकिन गणेश जी की मूर्तियों की खरीदारी अभी से जोरों-शोरों से शुरु हो गई है लोग मिट्टी की मूर्ति, चॉकलेट या फिर फलों से बने आदि अलग-अलग स्वरुपों में बने बप्पा की पूजा करते हैं लेकिन हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम श्रद्धा के साथ अपने पर्यावरण से जुड़ी जिम्मेदारी निभाए और ऐसा आप कर सकते हैं इस उत्सव को इको-फ्रैंडली तरीके से मनाकर।
इस बार आप गणेश उत्सव इको फ्रेडली मनाते हुए अपने घर पर चॉकलेट से बने गणेश जी भी ला सकते हैं। गणेश जी की पूरी प्रतिमा को चॉकलेट के साथ बनाया गया है। जिसे बेक अमोर से यशिका अग्रवाल ने बनाया हैं।
ईडेबल या ईको फ्रेंडली है गणेश जी
चॉकलेट मॉडलिंग के साथ बनी गणेश जी की प्रतिमा पूरी तरह से ईडेबल व ईको फ्रेंडली है। इसे आसानी से दूध में विसर्जत कर प्रसाद के रुप में लिया जा सकता है। इतना ही नही इससे पर्यावरण को भी किसी तरह का नुकसान नही पहुंचता हैं। यशिका अग्रवाल ने बताया कि चॉकलेट की बनी होने के कारण इससे पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नही पहुंचेगा। इतना ही नही यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। विसर्जन के बाद चॉकलेट मिक्स मिल्क को प्रासद के तौर पर लिया जा सकता है। हां, मिट्ठा होने के कारण इसमें कैलोरी अधिक हो सकती हैं।
चॉकलेट से बनी हैं गणेश प्रतिमा
यह गणेश प्रतिमा पूरी तरह से चॉकलेट से बनी हुई हैं। जिसमें ब्लैक व व्हाइट चॉकलेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसे डेकोरेट करने के लिए सुगर बॉल्स का इस्तेमाल किया जाता है। गणेश जी की प्रतिमा को कलर फुल बनाने के लिए चॉकलेट में ईडेबल कलर मिक्स किए जाते है।
बाहर रखने से नही होगें खराब
लोगों के मन में सबसे ज्यादा सवाल यह आता है कि बाहर जोत के पास पड़े रहने के कारण कहीं यह मेल्ट न हो जाए लेकिन ऐसा नही है। स्थापित करने के बाद इन्हें नॉर्मल कमरे के तापमान पर ही रखे। बीच - बीच में थोड़े समय के लिए एसी या पंखा चला दें। इतना ही नही इसके आस पास किसी भी तरह की मक्खी या मच्छर नही आते है।
बचपन से ही था कुकिंग का शौक
यशिका अग्रवाल बचपन से कुकिंग का शौक रखती हैं। फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद भी उन्होंने कुकिंग के करियर को ही चुना। इस करियर में आगे बढ़ते हुए उन्होंने कुकिंग करते हुए फेस्टिवल सीजन के लिए विभिन्न तरह के प्रोडेक्ट्स व डिशीज बनाई। जो कि हेल्थ के लिए भी अच्छी है।
याद रखें कि पर्यावरण को सुरक्षित रखना भी हमारी ही जिम्मेदारी हैं। आपके द्वारा की गई छोटी छोटी कोशिशों से ही पर्यावरण को साफ-सुथरा रखा जा सकता है।
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