नारी डेस्क: बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, और इसकी सही उम्र और तरीके का ध्यान रखना जरूरी है। आमतौर पर बच्चों को 18 महीने से 3 साल के बीच पॉटी ट्रेनिंग शुरू की जा सकती है, लेकिन यह बच्चे की शारीरिक और मानसिक विकास पर निर्भर करता है। हर बच्चा अलग होता है, इसलिए माता-पिता को इस प्रक्रिया में धैर्य रखना चाहिए।
सही समय कैसे पहचानें
जब बच्चा अपने मूत्राशय और आंतों को नियंत्रित कर सके, जैसे कि दिन के समय में डायपर सूखा रहना, तो यह संकेत हो सकता है कि वह पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार है। अगर बच्चा खुद से टॉयलेट की तरफ जाने या पॉटी चेयर में बैठने की इच्छा दिखाता है, तो यह सही समय हो सकता है। बच्चा अगर संकेत या शब्दों के जरिए बता सके कि उसे पॉटी करनी है, तो ट्रेनिंग शुरू की जा सकती है।
पॉटी ट्रेनिंग के तरीके
रूटीन बनाएं: बच्चे को एक रूटीन में ढालें। जैसे, सुबह उठते ही, खाने के बाद, या सोने से पहले बच्चे को पॉटी चेयर पर बिठाएं।
पॉटी चेयर का परिचय: बच्चे को उसकी पसंद की एक छोटी और आरामदायक पॉटी चेयर दें, ताकि वह उसे पसंद करे और उपयोग करने में सहज महसूस करे।
प्रशंसा और प्रेरणा: जब बच्चा पॉटी चेयर का सही उपयोग करता है, तो उसकी तारीफ करें। इससे बच्चे को प्रोत्साहन मिलेगा।
धैर्य रखें: बच्चे को समय दें और अगर वह किसी दिन गलती करता है, तो उसे डांटें नहीं। उसे प्यार से समझाएं और अगले दिन फिर से कोशिश करें।
सकारात्मक दृष्टिकोण: ट्रेनिंग को मजेदार बनाएं। बच्चे को गाने, कहानियों या खिलौनों के साथ पॉटी चेयर पर बैठने के लिए प्रोत्साहित करें।
ध्यान रखने योग्य बातें
- बच्चा अगर तैयार न हो, तो पॉटी ट्रेनिंग को कुछ समय के लिए टाल दें।
- ट्रेनिंग के दौरान बच्चे के लिए कपड़े आसानी से पहनने और उतारने योग्य हों।
- रात में पॉटी ट्रेनिंग थोड़ी देर से शुरू की जा सकती है, क्योंकि रात में मूत्राशय पर नियंत्रण थोड़ा देर से आता है।
- इस प्रक्रिया को धैर्य और सकारात्मकता के साथ पूरा करना जरूरी है।