मां लक्ष्मी के बारे में कहा जाता है कि वो हमेशा अपने पति भगवान विष्णु के चरणों के पास ही रहती हैं। आपने कई सारी तस्वीरें भी देखी होंगी जिसमें ऐसा देखने को मिलता है। इसे लेकर कई तरह की कथाएं और मान्यताएं भी प्रचलित हैं। साथ ही कुछ लोग माता लक्ष्मी का हवाला देकर पत्नियों को सदैव अपने पति के चरणों में रहकर उनकी सेवा करने की बात कहते रहते हैं। लेकिन यह गलत है। माता लक्ष्मी के अपने पति विष्णु जी के चरणों के पास बैठने की वजह महज पति की सेवा करना ही नहीं हैं बल्कि इसके पीछे एक गहरा संदेश छिपा हुआ है। आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
पुराणों में ये उल्लेख मिलता है कि माता लक्ष्मी की एक बड़ी बहन हैं जिनका नाम है अलक्ष्मी। कहा जाता है कि अलक्ष्मी बिल्कुल भी सुंदर नहीं थी। उनका चेहरे बहुत ही खराब था और उनके काफी बड़े-बड़े दांत थे। लक्ष्मी जी जब भी अपने पति विष्णु के साथ कहीं जाती तो अलक्ष्मी भी उनके साथ-साथ चल देती थीं। इससे लक्ष्मी जी को काफी गुस्सा आता था, वह नहीं चाहती थीं कि अलक्ष्मी उनके साथ कहीं आए जाए।
एक दिन उन्होंने अलक्ष्मी ने पूछ लिया कि वो उनके साथ हर जगह क्यों चली जाती हैं। इसपर अलक्ष्मी ने कहा,'मेरे पास पति नहीं है और कोई मेरी आराधाना नहीं करता, इसलिए जहां- जहां तुम जाएगी, मैं तुम्हारी साथ रहूंगी'। ये सुनकर लक्ष्मी जी को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया और उन्होंने अलक्ष्मी से कहा,' मृत्यु के देवता तुम्हारे पति हैं और जहां भी गंदगी, ईष्या, लालच, आलस, रोष और अस्वच्छता रहेगी, तुम वहीं रहोगी'। इस प्रकार माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के चरणों में बैठकर उसकी गंदगी को दूर करती रहती हैं, ताकि अलक्ष्मी उनके निकट भी ना आ सकें। इस प्रकार से लक्ष्मी जी के अपने पति के चरणों के पास बैठने की वजह महज पति ही अंध सेवा ही नहीं है।