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पेरेंट्स ध्यान दें... बच्चों को जरूर सिखाएं साइबर सेफ्टी से जुड़ी बातें

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 23 Sep, 2024 03:02 PM
पेरेंट्स ध्यान दें... बच्चों को जरूर सिखाएं साइबर सेफ्टी से जुड़ी बातें

नारी डेस्क: इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़ने के साथ देश में पॉर्न देखने का ट्रेंड भी बढ़ता जा रहा है, जिससे बड़ी संख्या में अपराध का जन्म हो रहा है।  चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बैन करने की उठ रही मांग के बीच सुप्रीम कोर्ट आज इस पर अपना फैसला सुनाएगी कि पॉक्सो अधिनियम के तहत बाल पोर्न देखना अपराध है या नहीं?

 

बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे साइबर क्राइम

दरअसल  मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि केवल बच्चों के अश्लील वीडियो को डाउनलोड करना और उसे देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत आने वाला अपराध नहीं है। ऐसे में देश के आंकड़ों पर नजर डालें तो  2022 में नाबालिगों के खिलाफ साइबर अपराध के 1823 मामले सामने आए थे, जबकि 2021 में यह संख्या 1376 थी।  बच्चों को फंसाने के लिए ये गेमिंग वेबसाइट, सोशल मीडिया, ईमेल, चैट रूम, इंस्टेंट मैसेजिंग का इस्तेमाल किया जाता है। 

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क्या है चाइल्ड पोर्नोग्राफी

 
हाल के वर्षों में इंटरनेट की आसान पहुंच और इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध वीडियो के कारण चाइल्ड पोर्नोग्राफी में वृद्धि हुई है।चाइल्ड पोर्नोग्राफी का मतलब किसी भी प्रकार की ऐसी सामग्री (जैसे फोटो, वीडियो, टेक्स्ट) से है जिसमें बच्चों का यौन शोषण या आपत्तिजनक दृश्य शामिल होते हैं। यह एक गंभीर अपराध है और कई देशों में इसे कड़े कानूनों के तहत दंडनीय माना जाता है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी न केवल बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, बल्कि यह उनके अधिकारों का भी उल्लंघन करती है।
 

बच्चों को इससे दूर रखने के तरीके

बच्चों के इंटरनेट उपयोग पर नज़र रखें और सुनिश्चित करें कि वे सुरक्षित वेबसाइटों पर ही जाएं। बच्चों के लिए उपयुक्त सामग्री को देखने के लिए  पेरेंटल कंट्रोल और फिल्टरिंग सॉफ़्टवेयर  का उपयोग करें। बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में शिक्षित करें। उन्हें सिखाएं कि किसी भी अजनबी से ऑनलाइन बातचीत न करें और कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। समझाएं कि ऑनलाइन अजनबियों से तस्वीरें या वीडियो साझा करना खतरनाक हो सकता है।बच्चों की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए उनकी सोशल मीडिया सेटिंग्स को प्राइवेट रखें।

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खुला संवाद रखें 

 बच्चों के साथ नियमित रूप से बातचीत करें और उनसे जानें कि वे ऑनलाइन क्या कर रहे हैं। यदि वे किसी संदिग्ध सामग्री या व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तो उन्हें तुरंत माता-पिता या शिक्षक को बताने के लिए प्रोत्साहित करें। उन ऐप्स और गेम्स का उपयोग करें जो बच्चों के लिए उपयुक्त हों। अगर कोई ऐप या गेम संदिग्ध या अनुपयुक्त सामग्री दिखा रहा है, तो उसे तुरंत ब्लॉक या हटाएं।

 

रिपोर्ट और ब्लॉकिंग

अगर कोई संदिग्ध सामग्री या गतिविधि दिखाई दे, तो संबंधित वेबसाइट या प्लेटफ़ॉर्म को रिपोर्ट करें। कई प्लेटफ़ॉर्म पर आपत्तिजनक सामग्री को रिपोर्ट करने और ब्लॉक करने की सुविधा होती है।माता-पिता को यह जानना चाहिए कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी कानूनन दंडनीय है। अगर बच्चे इसके शिकार होते हैं, तो तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें और कानूनी कार्रवाई करें।

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मनोचिकित्सक की सलाह लें

यदि बच्चे को किसी प्रकार का मानसिक या भावनात्मक शोषण हुआ है, तो तुरंत एक मनोचिकित्सक से सलाह लें। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। बच्चों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी से सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता, शिक्षकों और समाज के सभी सदस्यों की सक्रिय भूमिका आवश्यक है। बच्चों को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रखना एक साझा जिम्मेदारी है, और इसके लिए सही शिक्षण और निगरानी आवश्यक है।

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