जहां एक तरफ सनी देओल की सुपर- डुपर फिल्म गदर 2 का क्रेज खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं दूसरी तरफ उनके दोनों बेटे लोगों के दिलों में जगह बनाने में नाकमयाब रहे। सनी देओल के छोटे बेटे राजवीर देओल फिल्म 'दोनों' की हालत बॉक्स ऑफिस पर काफी खराब है। यह फिल्म लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई। इसी तरह एक्टर के बड़े बेटे करण का भी करियर शुरू होने से पहले ही फ्लॉप हो गया था।
सूरज बड़जात्या के बेटे अवनीश एस बड़जात्या द्वारा निर्देशित पहली फिल्म ‘दोनों’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिटती नजर आई। इसमें राजवीर के साथ पूनम ढिल्लों की बेटी पलोमा ने भी डेब्यू किया था। दोनों बेटाें को लेकर सनी देओल को लोगों से काफी सुनना पड़ रहा है, ऐसे में एक्टर ने इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने के आरोपों को लेकर अपनी बात रखी है।
सनी का कहना है कि अगर एक पिता अपने बेटे के बारे में बेहतर नहीं सोचेगा, तो कौन सोचेगा? हाल ही में लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में सनी ने कहा- ‘लोग नेपोटिज्म के बारे में बात करते रहते हैं, मुझे काफी समय तक इसका मतलब नहीं पता था। मैं सोचता था कि ये है क्या? उन्होंने कहा- एक्टिंग हो या फिर कोई और भी इंडस्ट्री, हर पिता यही सोचता है कि वो अपने बच्चे की जिंदगी को कैसे आरामदेह बनाए।
सनी ने आगे का- नेपोटिज्म शब्द ज्यादातर वो लोग इस्तेमाल करते हैं जिन्हें किसी वजह से लाइफ में सक्सेस न मिली हो। वो अपनी निराशा जताने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने अपने परिवार का उदाहरण देते हुए कहा- 'मेरे पिता ने अपनी पहचान खुद बनाई। आज मैं, बॉबी या अभय जो कुछ भी हैं, वह हमारी अपनी पहचान है। बेशक, अब मुझे पता है कि पिता होने का क्या मतलब होता है। याद हो कि सनी के बड़े बेटे करण देओल ने साल 2019 में फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ से डेब्यू किया था। यह फिल्म भी फ्लॉप साबित हुई थी।