मध्य प्रदेश बोर्ड ने हाल ही में10वीं कक्षा के परिणाम घोषित किए हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी लड़कियों ने बाजी मारी है। इन्हीं में से एक लड़की ऐसी भी है जिसने फुटपाथ पर स्ट्रीट लाइट के नीचे अपनी परीक्षा की तैयारी की थी। लेकिन 10वीं कक्षा 68% अंक लाने वाली भारती को अब उसी फुटपाथ पर रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
फुटपाथ पर रहने के लिए करना पड़ रहा संघर्ष
उसके पिता दशरथ खांडेकर मजदूरी कर परिवार का पेट भरते हैं। वह कहते हैं कि बेटी की सफलता से वो बहुत खुश थे। मगर वो खुशी ज्यादा देर तक नहीं रह सकी। पुलिसकर्मियों ने उन्हें फुटपाथ से हटने के लिए कह दिया। भारती के पिता बताते हैं कि ये अब रोज का काम हो गया है। उन्हें फुटपाथ से हटाने के लिए कभी पुलिस तो कभी निगम की टीम आती है। उनके पास रहने के लिए कोई ठिकाना भी नहीं है। वो और उनकी पत्नी मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पाल रहे हैं।
रोज रात स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ती है भारती
अपनी बेटी की तारीफ करते हुए वे कहते हैं कि शुरू से ही भारती बहुत होनहार है। हमारे काम पर जाने के बाद वो अपने छोटे भाई-बहनों को संभालती है। इसके बाद रोज रात के 1 बजे तक स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई करती है। दशरथ कहते हैं कि उनकी झोपड़ी फुटपाथ के सामने हुआ करती थी। लेकिन एक सरकारी योजना के चलते वे गिरा दी गई।हर किसी को पक्के घर मिल गए हैं, लेकिन दो साल होने को आए हैं मगर सरकार की तरफ से अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गई।