मोदी सरकार के लगातार प्रयासों के चलते वाराणसी (भारत) से करीब 100 साल पहले चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से वापिस लाई गई है। रिपोर्ट की मानें तो मां की मूर्ति 11 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी जा चुकी है। कहा जा रहा है कि 15 नवंबर, सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में इसकी स्थापना की जाएगी। इस खास अवसर पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने फूल चढ़ाकर मां की पूजा-अर्चना की है। चलिए इस आर्टिकल में हम आपको मां अन्नपुर्णा की मूर्ति से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं...
100 साल पहले चोरी हुई मूर्ति
बीते वर्ष नवंबर को देश के पीएम मोदी जी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में इस मूर्ति के बारे में कहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मूर्ति को संबोधित करते कहा था कि, भारत से एक सदी पहले से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को कनाडा से वापस लाया जाएगा। बता दें, मूर्ति 1913 के आसपास वाराणसी से चोरी हो गई थी। मूर्ति की तस्करी होकर यह कनाडा देश में पहुंच गई थी।
कनाडा की आर्ट गैलरी से मिली मूर्ति
बनारस शैली में तैयार 18वीं सदी की यह मूर्ति कनाडा की यूनिवर्सिटी आफ रेजिना में मैकेंजी आर्ट गैलरी में लगी हुई थी। इस आर्ट गैलरी को साल 1936 में वकील नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार बनवाया गया था। साल 2019 में भारतीय मूल की मूर्तिकार कला विशेषज्ञ दिव्या मेहरा को आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने के लिए बुलाया गया था। तब उन्होंने मूर्ति पर गहरा अध्ययन किया और इसी दौरान उन्हें पता चला कि यह भारत की है।
कनाडा ने आदर सहित लौटाई मूर्ति
दिव्या मेहरा ने ही इस बात का पता लगाया कि सन 1913 यानि आजादी से पहले भारत के वाराणसी में गंगा किनारे क्षेत्र से के आसपास देवपी अन्नपूर्णा की यह मूर्ति चोरी हो गई थी। चोरी के बाद यह मूर्ति तस्करों द्वारा कनाडा में पहुंचाई गई। मूर्ति के बारे में पता चलते ही दिव्या मेहरा ने इसकी जानकारी भारतीय दूतावास को दी। दूसरी ओर मूर्ति का इतिहास जानने के बाद कनाडा सरकार ने शिष्टाचार भेंट के तौर पर भारत की यह मूर्ति लौटा दी।
मूर्ति की खासियतें
देवी अन्नपूर्णा की यह मूर्ति चुनार के बलुआ पत्थर से तैयार की गई है। मूर्ति विशेषज्ञों के अनुसार, यह मूर्ति 18 वीं सदी है। देवी मां की मूर्ति की लंबाई 17 सेंटीमीटर और चौडा़ई 9 सेंटीमीटर है। लगभग तीन सदी पुरानी यह मूर्ति अपनी प्रकृति काफी हद तक खो चुकी है। मगर कनाडा की आर्ट गैलरी में इसका रखरखाव अच्छे से किया गया था। बता दें, वाराणसी में आज भी इस काल की कई सारी मूर्तियां देखने को मिलती है। मूर्ति में देवी के एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में एक चम्मच पकड़ा हुआ है।
आस्था का प्रतीक मां अन्नपूर्णा की मूर्ति
धार्मिक मान्यताओं अनुसार, देवी मां खुद इस चम्मच से अपने भक्तों के बीच खीर का प्रसाद बांटती है। भक्तों को सुख-समृद्धि, खुशहाली का आशीर्वाद देती है। खासतौर पर काशी में ऐसी मान्यता है कि अन्नपूर्णा माता के दरबार आया कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में होगी स्थापना
एक ट्वीट पर केंद्री मंत्री किशन रेड्डी ने कैप्शन पर लिखा कि, ‘मूर्ति को रथ यात्रा से काशी विश्वनाथ मंदिर लेकर जाया जाएगा, वहां मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा होगी। ऐसे में हमें देवी अन्नपूर्णा देवी की आध्यात्मिक और दिव्य कृपा मिलेगी। हम सब धन्य हैं कि मूर्ति को उनकी सही जगह पर वापस लाया जा पाया है।’