नारी डेस्क: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के साथ-साथ मंदिर में घंटी बजाने का भी विशेष महत्व है। घंटी की आवाज़ भगवान को प्रिय मानी जाती है और इसके माध्यम से भक्तों की आस्था और भक्ति प्रदर्शित होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि घंटी बजाने के भी कुछ सही और गलत तरीके होते हैं? आइए जानें मंदिर में घंटी बजाने से जुड़ी 3 प्रमुख गलतियां और सही तरीका।
मंदिर की घंटी बजाने में कौन-सी गलतियां नहीं करनी चाहिए?
तीन बार से ज्यादा घंटी नहीं बजानी चाहिए
धर्म ग्रंथों के अनुसार, मंदिर में घंटी को तीन बार से ज्यादा नहीं बजाना चाहिए। माना जाता है कि घंटी की ध्वनि का असर तब तक ही रहता है, जब तक वह तीन बार बजाई जाती है। तीन से अधिक बार घंटी बजाने से मंदिर में अव्यवस्था पैदा हो सकती है और इसका धार्मिक महत्व कम हो जाता है।
एक बार घंटी बजाना
जब आप मंदिर में प्रवेश करते हैं और घंटी बजाते हैं, तो यह आपकी उपस्थिति और आगमन को दर्शाता है। यह एक शुद्ध संकेत होता है कि आपने भगवान के दरबार में प्रवेश किया है और अब आप उनकी पूजा करने के लिए तैयार हैं। इस प्रकार, एक बार घंटी बजाना एक धार्मिक आदान-प्रदान का हिस्सा होता है।
दो बार घंटी बजाना
दो बार घंटी बजाना आपके द्वारा भगवान के सामने अपनी अर्जी या प्रार्थना रखने का प्रतीक होता है। यह संकेत करता है कि आप अपने मन की बात भगवान तक पहुँचाना चाहते हैं। इससे यह भी दिखता है कि आपने भगवान से मार्गदर्शन या आशीर्वाद की अपील की है।
तीन बार घंटी बजाना
तीन बार घंटी बजाने का अर्थ है कि भक्त किसी विशेष समस्या या पीड़ा से जूझ रहे हैं और वे तुरंत भगवान से मदद चाहते हैं। यह संकट की स्थिति का प्रतीक होता है, जहां व्यक्ति जल्दी समाधान चाहता है। तीन बार घंटी बजाने से भगवान तक आपकी प्रार्थना और आशीर्वाद पहुँचाने का रास्ता खुलता है।
मंदिर में घंटी बजाने का सही समय है सुबह और शाम
सुबह और शाम भगवान की उपासना और पूजा का समय होता है, इस दौरान घंटी बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। दिन में जब भगवान आराम कर रहे हों और रात में शयन के समय घंटी नहीं बजानी चाहिए। यह भगवान की निंदा कर सकता है।
मंदिर से निकलते समय घंटी न बजाएं
मंदिर में घंटी बजाना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और प्रभु का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है, लेकिन मंदिर से बाहर निकलते वक्त घंटी नहीं बजानी चाहिए। यह नियम शास्त्रों में है।
मंदिर की घंटी बजाने का सही तरीका
दाहिने हाथ से बजाएं
चाहे आप पुरुष हों या स्त्री, मंदिर की घंटी हमेशा दाहिने हाथ से बजानी चाहिए। यह न केवल धार्मिक नियम है, बल्कि यह शुभता और आस्था को दर्शाता है। दाहिना हाथ पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इससे घंटी बजाना विशेष फलदायक होता है।
घंटी सिर के ऊपर रखें
घंटी को हमेशा सिर के ऊपर से बजाना चाहिए। यह माना जाता है कि जब घंटी आपके सिर के ऊपर होती है, तो उसकी आवाज आपके मस्तिष्क और मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। यदि आप घंटी को दायें, बाएं या आगे-पीछे से बजाते हैं, तो यह सही नहीं माना जाता और लाभ प्राप्त नहीं होता है।
30 सेकंड तक घंटी के नीचे रुकें
घंटी बजाने के बाद, 30 सेकंड तक रुकें ताकि घंटी की ध्वनि आपके ऊपर प्रभाव डाले। इस समय के दौरान, घंटी की आवाज़ आपके मानसिक और भावनात्मक स्थिति को शांत करती है। यह नकारात्मक विचारों और तनाव को दूर करने में मदद करता है, और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस छोटे से समय का पालन करने से आपकी भक्ति और आस्था और भी प्रगाढ़ होती है।
मंदिर की घंटी बजाने का सही तरीका न केवल धार्मिक नियमों को मानने में मदद करता है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति भी लाता है।