11 OCTFRIDAY2024 10:49:15 AM
Nari

शुभ मुहूर्त पर करें कन्या पूजन, इन विधि-विधान के साथ पूजा करने से  मां दुर्गा की होगी कृपा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 11 Oct, 2024 08:37 AM
शुभ मुहूर्त पर करें कन्या पूजन, इन विधि-विधान के साथ पूजा करने से  मां दुर्गा की होगी कृपा

नारी डेस्क:   नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। आज महाअष्टमी का पूजन किया जा रहा है, साथ ही महानवमी का कन्या पूजन भी आज ही किया जाएगा। अष्टमी तिथि के दिन माता महागौरी की उपासना की जाती है, नवमी तिथि के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।  इस बार अष्टमी और नवमी तिथि एक ही होने के कारण दोनों ही दिन का कन्या पूजन एक ही दिन अलग- अगल मुहूर्त में किया जाएगा।  

PunjabKesari

कल हो गई थी अष्टमी की शुरुआत

पंचांग की गणना के मुताबिक आश्विन माह की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्तूबर को हो गई है, जिसका समापन 11 अक्तूबर यानी कि आज दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर होगा। जो लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं वे लोग 11 अक्तूबर को दोपहर अष्टमी तिथि के समापन के पहले तक पूजा संपन्न कर व्रत का पारण कर सकते हैं। अष्टमी तिथि के बाद नवमी तिथि की शुरुआत हो जाएगी।


ये है शुभ मुहूर्त 

नवमी तिथि आज दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से शुरू हो जाएगी और तिथि का समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर होगा। महाअष्टमी और महानवमी दोनों आज ही मनाई जा रही है। कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त आज सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 20 मिनट तक है।अभिजीत मुहूर्त सुबह  11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। वहीं तीसरा मुहूर्त  दोपहर 2 बजकर 3 मिनट से लेकर 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।

PunjabKesari
कन्या पूजन के दौरान ध्यान में रखने योग्य बातें

कन्या पूजन से पहले देवी की पूजा करें और फिर मंत्रों के साथ कन्याओं के पैर धोकर उनका पूजन करें। कन्याओं की आयु 2 से 10 वर्ष के बीच होनी चाहिए, क्योंकि यह आयु मासूमियत और पवित्रता का प्रतीक मानी जाती है। कन्याओं की संख्या आमतौर पर 9 होती है, जो नवदुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यदि संभव न हो, तो कम कन्याओं से भी पूजन किया जा सकता है।कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनका पूरा आदर और सम्मान करें। उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसका विशेष ध्यान रखें। उन्हें अच्छे तरीके से बिठाएं और मुस्कान के साथ उनका स्वागत करें। कोई भी असभ्य या अनादरपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए।

साफ सफाई

कन्या पूजन के समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। कन्याओं के पैरों को धोने के लिए तांबे या पीतल के बर्तन का उपयोग करें और उन्हें साफ पानी से धोकर तिलक लगाएं। घर की जगह जहां पूजन होगा, उसे भी साफ और पवित्र करें, ताकि वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरा हो।कन्या पूजन में कन्याओं को भोजन कराना प्रमुख होता है। भोजन शुद्ध और सात्विक होना चाहिए, जिसमें पूरी, हलवा, चने, या कोई अन्य प्रसाद हो सकता है।

PunjabKesari

उपहार और दक्षिणा

भोजन के बाद कन्याओं को कुछ उपहार या दक्षिणा देना शुभ माना जाता है। यह उपहार वस्त्र, फल, मिठाई, या किसी प्रकार का पवित्र आभूषण हो सकता है। कन्याओं के साथ एक लड़के को भी पूजा में शामिल किया जाता है, जिसे लंगूर कहा जाता है। उसे भी विशेष रूप से आदर और उपहार दें।कन्या पूजन के माध्यम से देवी दुर्गा के नौ रूपों का आह्वान किया जाता है। इसे देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में समृद्धि, शांति और सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह भी माना जाता है कि कन्या पूजन से घर में सुख-समृद्धि आती है और बुरी शक्तियों का नाश होता है।

Related News