अस्थमा फेफड़ों की एक बीमारी है जिसमें पीड़ित को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। इस बीमारी में मनुष्य के फेफड़े से जुड़ा श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है, जिससे सांस लेने में समस्या आने लगती है। जब भी अस्थमा का स्ट्रोक आने लगता है तो उस वक्त लोग ठीक से सांस नहीं ले पाते हैं और ऐसे में उन्हें इनहेलर लेना पड़ता है। अस्थमा होने से कई कारण हो सकते हैं। कई बार यह आनुवांशिक कारणों से होता है तो कई बार ये प्रदूषण और एलर्जी की वजह से भी होता है। पिछले कुछ समय से अस्मथा के मरीज काफी तेजी से बढ़े हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है और अगर विश्व संघठन की मानें तो करीब 20 मिलियन लोग इस समय दुनियभर में अस्थमा से पीड़ित है। वहीं प्रेग्नेंट महिलाओं को भी अस्थमा का बड़ा खतरा होता है, पेट में पल रही नन्हीं जान को भी इससे नुकसान हो सकता है। अगर आप प्रेग्नेंसी में अस्थमा से पीड़ित है तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें...
प्रेग्नेंसी में अस्थमा का प्रभाव
अस्मथा का दौरा पड़ने से आपके खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, इसका सबसे बड़ा असर आपके गर्भ में पल पहले बच्चे पर पड़ सकता है।ऑक्सीजम की कमी से वजह से उसका विकास प्रभावित हो सकता है। ऐसे में प्रीमैच्योर बर्थ, खराब विकास और लो बर्थ वेट जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आ सकती हैं ये जटिलताएं
लेबर पेन बढ़ने की संभावना।
अस्थमा से उच्च रक्तचाप संबंधी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
क्या प्रेग्नेंसी अस्थमा की समस्या को बढ़ा सकती है
अस्मथा और प्रेग्रेंसी दोनों का ही एक दूसरे पर असर पड़ता है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्मथा और इम्यूनोलॉजी का कहना है कि अस्थमा से प्रभावित लगभग एक तिहाई प्रेग्नेंसी में अस्थमा में सुधार होता है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान अस्मथा के कुछ मामले बिगड़ भी जाते हैं। हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि प्रेग्नेंसी के दौरान अस्थमा कैसे बदलता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर प्रेग्नेंसी के दौरान अस्थमा तेज हो जाता है तो ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है।
प्रेगनेंसी के दौरान अस्थमा होने के कारण
प्रग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन ज्य़ादा मात्रा में बनते हैं। यही स्ट्रेजन हार्मोन ही साइनस और बंद नाक जैसी समस्याओं जिम्मेदार होता है। वहीं सांस लेने में तकलीफ और सांस फूलने की समस्या के लिए प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन जिम्मेदार होता है। ऐसे में इन दोनों के
ज्यादा उत्पादित होने से महिलाओं को सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है और प्रेग्नेंसी के दौरान अस्थमा की समस्या का सामना करना पड़ता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान अस्मथा के लक्षण
सांस फूलना
छाटी में दर्द का महसूस करना
सीने में जकड़न की समस्या
थोड़े से काम में थकावट होना
सिर दर्द रहना
सर्दी खांसी का बार-बार होना
प्रेग्नेंसी में अस्थमा से ऐसे करें बचाव
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी हेल्थ का पूरा ख्याल रखना चाहिए। यदि बात अस्मथा की हो तो विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि मां और बच्चा दोनों पूरी तरह से स्वस्थय रहें...
प्रेग्नेंसी के दौरान धूल मिट्टी के संपर्क में आने से बचें।
संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें।
पहले से सांस संबंधित समस्या होने पर समय समय पर अपना चेकअप कराएं।
ज्यादा तेज चलने से बचें।
मेहनत वाले कामों से बचें।
क्या प्रेग्नेंसी में अस्थमा की दवा ले सकते हैं
अस्थमा का बढ़ना प्रेग्नेंसी में खतरा पैदा कर सकता है। अगर आप प्रेगनेंट होने से पहले से ही अस्थमा की दवा ले रही थीं, तो डॉक्टर की सलाह के बिना उसे बंद न करें। वहीं प्रेग्नेंसी में अस्थमा होने पर भी डॉक्टर से बात करना जरूरी होता है।
नोट- प्रेग्नेंसी में अस्मथा की कोई भी दवा लेने से पहले एक्सपर्ट्स की राय लें।