स्कूटी, स्कूटर या बाइक में पैट्रोल या डीजल डलवाते समय क्या आपके दिमाग में आया कि आप इससे बीमार भी हो सकते हैं। ऐसे हम नहीं बल्कि हाल ही में हुए एक शोध का कहना है। जी हां, हाल ही में हुए शोध के मुताबिक, बाइक, स्कूटर, स्कूटी में पेट्रोल भरवाने लोगों के फेफड़े फेल हो सकते हैं। ऐसे में अगर आप भी बाइक या स्कूटर पर बैठे-बैठे पेट्रोल भरवाते हैं तो सावधान हो जाएं।
फेफड़े हो सकते हैं खराब
दरअसल, पैट्रोल पंप पर लोग अनजाने में ही बेंजीन नामक हानिकारक गैस के संपर्क में आ जाते हैं जो सांसो के जरिए शरीर में पहुंचकर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह गैस कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का कारण भी बन सकती हैं। इसके अलावा इससे दिल की धड़कन बढ़ना माइग्रेन जैसा सिरदर्द, बेहोशी या भ्रम की स्थिति भी पैदा हो सकती है।
कितनी है अनुमति?
बेंजीन भी एक हानिकारक ज्वलनशील हाइड्रोकार्बन है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पैट्रोल पंप पर सिर्फ एक पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) बेंजीन गैस ही हो सकती है। मगर, कई बार कंपनियां पैट्रोल में 10 गुना ज्यादा बेंजीन गैस मिला जाती है, जो सेहत को नुकसान पहुंचाता है। एनजीटी और सीपीसीबी द्वारा इसे लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, जिसे ज्यादातर कंपनियां अनदेखा कर देती हैं।
कैसे करता है शरीर में प्रवेश?
दरअसल, जब आप पैट्रोल भरवा रहे होते हैं तो यह गैस हवा में मिक्स होकर सांस से नाक के जरिए शरीर में घुस जाती है। जो लोग पैट्रोल पंप पर लंबा-लंबा इंतजार करते हैं उनके लिए तो यह ज्यादा खतरे की बात है। वहीं, सामान्य लोगों की तुलना में पैट्रोल पंप पर काम कर रहे कर्मचारियों को इसका अधिक नुकसान होता है क्योंकि वह 8 से 12 घंटे इसके संपर्क में रहते हैं।
बचने के ये हैं निर्देश
1. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एडवायजरी के मुताबिक, पैट्रोल भरने वाले नोजल के साथ स्टेज-1 और 2 के वेपर रिकवरी सिस्टम लगे होने चाहिए। ये भाप बनकर उड़ने वाली गैस को पैट्रोल में ही मिला देती है, जिससे नुकसान कम होता है।
2. पैट्रोल रिफाइनिंग का काम करने वाले कर्मचारी के लिए सुरक्षा का इंतजाम होना जरूरी।
3. नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को एक करोड़ रुपए का जुर्माना देना पड़ेगा।
ध्यान रखें कि जब भी पैट्रोल भरवाने जाए तो मुंह पर मास्क लगा लें। वहीं पैट्रोल पंप पर लंबा इंतजार करने से बचें। कुछ दूरी भी आपको बेंजीन के नुकसान से बचाने में सहायक हो सकती है।