पीरियड्स के दौरान हर महिला अलग-अलग बर्ताव करती है। कभी दर्द ज्यादा होता है कभी कम। किसी को गाने सुनकर अच्छा लगता है किसी को बातें करके। हालांकि कुछ चीजें ऐसी हैं जो पीरियड्स के दौरान आपको लगभग हर महिला में देखने को मिल जाएगी। जैसे गुस्सा करना। कई रिसर्च में भी ये बात सामने आई है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को सामान्य से ज्यादा गुस्सा आता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च में इस बारे में विस्तार से बताया गया है।
पीरियड्स के दौरान क्यों आता है गुस्सा?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के रिसर्च में बताया गया है कि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से ग्रस्त महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ज्यादा गुस्सा आता है। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण मूड स्विंग्स, ज्यादा भूख, थकान और चिड़चिड़ापन है। इसके साथ-साथ यह भी बताया गया है कि पीरियड्स के दौरान हार्मोनल परिवर्तन महिलाओं के मूड को प्रभावित करते हैं। हार्मोन्स में चेंज होने की वजह से भी महिलाओं को सामान्य रुप से ज्यादा चिड़चिड़ापन महसूस होता है। शोध में ये भी बताया गया है कि जो महिलाएं दैनिक जीवन में क्रोध को नियंत्रित करने में सक्षम होती है वो भी पीरियड्स से पहले अपने क्रोध को कंट्रोल करने की क्षमता खो देती हैं।
और भी हो सकते हैं कई कारण
ऐसा जरुरी नहीं है कि सिर्फ शोध में सामने आई बातों की वजह से ही महिलाओं को गुस्सा आता है। हर महिला का किसी पढ़ाव को पार करते वक्त एक अलग बर्ताव होता है और ये वही दिखाता है।
ऐसे होगें हैप्पी पीरियड्स
1. जंक फूड से अपना मन बहलाने का प्रयास न करें, इससे शरीर में फ्ल्यूड का रिटेनशन बढ़ जाएगा।
2. तरल पदार्थों का सेवन बढ़ा दें, शरीर में जल का पर्याप्त स्तर होने पर रक्त का प्रवाह सुधरता है जिससे पेट दर्द कम होता है।
3. ऐसे सैनिटरी पैड चुनें जो आरामदायक हों। संक्रमण और स्किन रैशेज से बचने के लिए इन्हें नियमित अंतराल पर बदलें। 4-6 घंटे में पैड बदल लें।
4. प्राइवेट पार्ट को साफ करने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें। कई महिलाओं को प्राइवेट पार्ट के आसपास रैशेज हो जाते हैं। इससे बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और समय पर पैड्स बदलें।
अगर फिर भी समस्या होती है तो किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।