बॉलीवुड सिंगर लता का आज निधन हो गया है। ऐसे में इस दुखभरी खबर को सुनकर देशभर में शोक की लहर गूंज गई है। खबरों की मानें तो आज शाम करीब 6.30 बजे लता जी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। सुरों की मल्लिका लता जी की आवाज का जादू दुनियाभर में अमर ही रहेगा। कहते हैं कि उनकी आवाज में ऐसा जादू हैं कि कई बार इनका गाना सुनते ही आंखों से आंसू निकल आते हैं। ऐसे में ही उनका गाना सुनकर एक बार भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी रो पड़े थे। चलिए आज हम आपको लता जी के जीवन से जुड़ी कुछ खास किस्से बताते हैं...
कला से संबंध रखने वाले परिवार में पैदा हुआ लता मंगेशकर
बता दें, लता जी का जन्म थिएटर कंपनी चलाने वाले मशहूर कलाकार दीनानाथ मंगेशकर के घर 1929 में हुआ था। कला से संबंध रखने वाले परिवार में पलने-बढ़ने वाली लता पर बचपन से ही संगीत का असर रहा। फिर आगे चलकर वे देश की मशहूर गायिका बनीं।
लता की आवाज सुनकर जब रो पड़े थे पंडित नेहरू
सन 1962 में भारत की चीन से हार के बाद पूरा देश निराश हो गया था। इस निराशा को तोड़ने के लिए प्रदीप ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत लिखा था। कवि प्रदीप द्वारा लिखित इस गीत को रामचन्द्र जी आशा भोसले से गवाना चाहते थे। मगर किसी कारण आशा जी ने इस गीत को गाने से मना कर दिया। ऐसे में इस गीत को लता जी द्वारा गाया गया। जब 15 अगस्त पर पहली बार 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत लता मंगेशकर ने लाल किले से गाया तो सामने बैठे ज्यादातर लोगों की आंखे से आंसू से भर आई। तब पंडित नेहरू ने लता जी से कहा भी था कि,'बेटी तूने मुझे आज रुला दिया।'
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मोहम्मद रफी से लता की नाराजगी
लता मंगेशकर ने बचपन से ही लता ने अपनी शर्तों पर जीवन जीना सीखा। इसी कारण कभी मोहम्मद रफी की आवाज को भगवान की आवाज बताने वाली लता उनसे नाराज हो गई थी। उन्होंने लंबे समय तक उनसे बात नहीं की थी। दरअसल, गायक मांग कर रहे थे कि हिट हुए गानों से अगर प्रोडयूसर व संगीतकार रॉयल्टी आदि का पैसा कमा रहे हैं तो इसमें उनका भी हिस्सा होना जरूरी है। इसतरह उन्हें भी रॉयल्टी जैसा कुछ जरूर मिलना चाहिए। मगर मोहम्मद रफी की कमाई अच्छी होने पर वे इस बात को ये कहकर टाल देते थे कि जब फिल्में पिटती हैं या गाने नहीं चलते तो क्या हम प्रोडयूसर को हुए नुकसान में उनका सहयोग देते हैं? इस कारण लता जी और रफी साहब में अनबन हो गई। फिर दोनों ने कई सालों तक एक-दूसरे से बात नहीं की थी।
अटल बिहारी वाजपेयी लता जी को बनाने चाहते थे राष्ट्रपति
खबरों की मानें तो अटल बिहार वाजपेयी जी जब देश के प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने बेहद कोशिश की थी कि लताजी को सर्वसम्मति से राष्ट्रपति बनाया जाए। मगर ऐसा हो नहीं पाया। हालांकि, इस पद को लेकर कभी लता जी ने भी उनसे बात नहीं नहीं की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अटल जी के निधन के बाद लता जी को बेहद अफसोस हुआ था। उनके देहांत से उन्हें गहरा सदमा होने पर गुमसुम लताजी ने किसी का फोन तक नहीं उठाया था।
जब लता का गाना डायरेक्टर के लिए बन गया दवा
लता जी की आवाज का हर कोई दीवाना है। कहते हैं कि उनके द्वारा गाया 'रसिक बलमा...' गाने ने एक मशहूर फिल्म डायरेक्टर के लिए एक तरह से दवा का काम किया था। दरअसल, महबूब खान साहब की सेहत काफी बिगड़ गई थी। अमेरिका में इलाज करवाते भी उनको नींद नहीं आ रही थी। उस समय वे अमेरिका से लताजी को फोन करके कहते थे कि मुझे 'चोरी चोरी' का गाना 'रसिक बलमा...' सुनाओ। फिर लताजी उनको कई बार वह गाना सुनाया। कहते हैं उनका गाना सुनकर महबूब जी की तबीयत सही होने लगी और वे एकदम स्वस्थ हो गए।