दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के कारण श्री करतारपुर साहिब के काॅरिडोर को बंद कर दिया गया था। वहीं सिखों के धार्मिक स्थल गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को लेकर पाकिस्तान ने एक बार फिर से धूल झोंक दी है। पाकिस्तान सरकार ने इस परियोजना का नाम बदल दिया है। उन्होंने इस परियोजना का नाम ‘प्रोजेक्ट बिज़नेस प्लान’ से बदलकर करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट रख दिया है। लेकिन अभी भी इस परियोजना से सिखों को बाहर रखा गया है।
परियोजना में 9 सदस्य मुस्लिम समुदाय शामिल
मिली जानकारी के मुताबिक इस परियोजना में सभी 9 सदस्य मुस्लिम समुदाय के ही हैं। देश की आय में इजाफा करना और करतारपुर साहिब को बिजनेस माॅडल में विकसित करना इस परियोजना का मकसद है। पाकिस्तान सरकार गुरद्वारा करतारपुर साहिब से शुल्क के रुप में प्रति वर्ष 555 करोड़ रुपए की आय के रुप में देख रही थी। करतारपुर गलियारा और गुरुद्वारा साहिब पर पाकिस्तान सरकार ने जो राशि खर्च की थी वहां की सरकार पर उसे लेकर सवाल उठने लगे थे।
देश-विदेश से सिख सुमदाय मांग
गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में पाकिस्तान से आने वाले श्रद्धालुओं से पाकिस्तान सरकार प्रति व्यक्ति 200 पाकिस्तानी रुपए और भारत से आने वाले श्रद्धालुओं से 20 डाॅलर फीस लेती है। वहीं अब लिए गए इस नए निर्णय के बाद से गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को व्यापारिक रुप में लिया जा रहा है। इस मामले पर भारत के मीडिया समेत देश-विदेश में रह रहे सिखों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। हालांकि ऐसा भी कहा जा रहा था कि करतारपुर गलियारा खोलने से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई को उनके मन के मुताबिक परिणाम नहीं मिलने पर दबाव के चलते पाकिस्तान ने ऐसा फैसला लिया है। फिलहाल अभी भी देश-विदेश से सिख सुमदाय के लोग परियोजना की 9 सदस्यीय कमेटी में सिख सदस्यों को शामिल करने की मांग कर रहे हैं।