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शक्ति का ही स्वरूप हैं शिव जी, Navratri में आराधना करने से जमकर बरसेगी कृपा

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 15 Oct, 2023 07:07 PM
शक्ति का ही स्वरूप हैं शिव जी,  Navratri में आराधना करने से जमकर बरसेगी कृपा

नवरात्रि के पावन दिन शुरु हो गए हैं। इन दिनों माता के 9 रूपों की पूजा विधि- विधान से पूजा की जाती है, लेकिन महादेव को संपूर्णता इन्हीं से मिलती है। इन दिनों पर भोलेनाथ की  पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं को शारदीय नवरात्र में मां के साथ- साथ महादेव की पूजा भी करनी चाहिए। नवरात्रि के दिनों में माता रानी के साथ- साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि का नौंवा और अंतिम दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप को समर्पित है, नाम से ही पता चलता है देवी का नौवां रूप सभी सिद्धियां प्रदान करने वाला है।

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देवीपुराण के हिसाब से भोलेनाथ को माता रानी की कृपा से ही सारी सिद्धियां प्राप्त हुई थीं। सृष्टि में संहार का काम उन्हें इसके बाद ही मिला। माता सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव को  ‘अर्द्धनारीश्वर’ भी कहा जाता है, ये भगवान शिव को संपूर्ण करने वाली है। ऐसे में नवरात्रि के दिनों में शिवजी की भी पूजा करने से देवी सिद्धिदात्री अपनी कृपा बरसाती है। नवरात्रि के बीच मासिक शिवरात्रि पड़ने पर मां और महादेव दोनों की संयुक्त पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है। श्रद्धालुओं को इस दिन ध्यान लगाते हुए मां के साथ शिवजी की उपासना करनी चाहिए।

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जानिए कितनी है सिद्धियां

मार्कंडेय पुराण के अनुसार आठ सिद्धियां है। अणिमा, लघिमा, महिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, वशित्व और ईिशत्व हैं लेकिन ब्रह्ववैवर्त पुराण में कुल 18 सिद्धियों का वर्णन किया गया है वह इस प्रकार से हैं। सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाकसिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व. इस प्रकार से कुल 18 सिद्धियां हैं जिनका वर्णन हमारे पुराणों में मिलता है।


 

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