22 जनवरी को दिन हर किसी को याद है। इस दिन अयोध्या में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम हुआ था। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा इस शुभ घड़ी का इंतजार लगभग सभी भारतीय कर रहे थे। ऐसे में अब जबसे प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम हुआ है तब से रोज करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु भगवान राम के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। मंदिर परिसर में भगवान राम के 5 साल के बालस्वरुप की मूर्ति लगाई गई है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से यहां पर करोड़ श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर चुके हैं। वहीं हर दिन इस मंदिर में एक लाख से भी ज्यादा भक्त अयोध्या आ रहे हैं।
1.5 करोड़ लोगों ने किए रामलला के दर्शन
अब हाल ही में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस बात की जानकारी दी है। चंपत राय ने कहा कि - 'अयोध्या राम मंदिर में हर दिन एक लाख से ज्यादा लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से लगभग 1.5 करोड़ लोग भगवान राम के दर्शन के लिए आए हैं। उन्होंने आगे बताया कि आज यानी की 22 अप्रैल को प्राण-प्रतिष्ठा को पूरे हुए तीन महीने हो गए हैं।'
मंदिर के 14 फुट चौड़ी दीवार
इसके अलावा चंपत राय ने यह भी बताया कि मंदिर के चारों ओर 14 फीट चौड़ी सुरक्षा दीवार का निर्माण करने की घोषणा भी की। इस दीवार को परकोटा कहा जाएगा। मंदिर का अभी सिर्फ भूतल ही पूरा हुआ है जहां रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी पहली मंजिल का अभी काम चल रहा है। परकोटा एक बहुद्देश्यीय क्षेत्र होगा जिसमें 6 और भी मंदिर होंगे।
तीन मंजिला बनेगा मंदिर
अभी मंदिर तीन मंजिला बनेगा। हर फ्लोर को 20-20 फीट की ऊंचाई होगी। यह मंदिर कुल 2.7 एकड़ में बन रहा है और इसकी ऊंचाई लगभग 161 फीट की होगी। मंदिर निर्माण और बाकी प्रोजेक्ट में अभी समय लग सकता है। अभी सिर्फ ग्राउंड फ्लोर का निर्माण हुआ है दूसरी मंजिल दिसंबर 2024 तक पूरी हो जाएगी परंतु मंदिर में अभी से ही दिव्यता और अलग भव्यता नजर आने लगी है। आने वाले दिनों में यहां आने वाले श्रद्धालु त्रेता युग जैसा अनुभव लेंगे। मंदिर के डिजाइन ने लेकर नागर शैली हर चीजें खास है।
और भी मंदिरों का हो रहा है निर्माण
वहीं मंदिर ट्रस्ट ने बताया कि परिसर में भगवान राम के मंदिर के अलावा 7 अन्य मंदिर और भी बनाए जा रहे हैं जिसमें महार्षि वाल्मिकी मंदिर, महार्षि वशिष्ठ मंदिर, महार्षि विश्वामित्र मंदिर, महार्षि अगस्त्य मंदिर, निषाद राज, माता शबरी, देवी अहिल्या मंदिर भी बनेंगे जो कि लोगों को त्रेतायुग का अहसास करवाएं। मंदिर के मुख्य द्वार को सिंह द्वार कहा जाएगा। मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारतीय परंपरानुसार और स्वेदशी तकनीक के जरिए किया जा रहा है। पर्यावरण जल संरक्षण पर भी इस दौरान पूरा ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र मंदिर का हरा-भरा ही रहेगा। मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप भी देखने को मिलेगा ।