एक समय था जब भारतीय परिधान को निचली निगाहों से देखा जाता है। भारत से बाहर अगर कोई इसे पहन लेता तो उसे पिछड़े वर्ग का माना जाता है। लेकिन अब भारतीय परिधानों को पश्चिमी देशों में हाई Standard फैशन के तौर पर देखा जाता है। इसका पूरा श्रेय जाता है मोहनजीत ग्रेवाल को। वो ही हैं जो सबसे पहले भारतीय परिधानों को पेरिस तक लेकर गई थीं। 92 साल की मोहनजीत ग्रेवाल 1960 के दशक की शुरुआत में पेरिस को भारतीय फैशन से रूबरू कराया था।आज भी पेरिस में उनका स्टोर है जो कई लोगों को आकर्षित करता है। आइए आपको बताते हैं मोहनजीत के सफलता के सफर के बारे में...
समय से आगे थी मोहनजीत
कई हिंदू परिवारों की तरह, जो विभाजन से एक दिन पहले भारत आने के लिए ट्रेनों में चढ़े, मोहनजीत के परिवार ने भी थोड़ा सा सामान पैक करके लौहार से पटियाला आया था। उनके पिता, जो पटियाला में शिक्षा निदेशक ( Director of Education) थे। मोहनजीत के सपने काफी बड़े थे और वो समय से आगे चलती थीं। 90 के दश्क में जब महिलाओं की 18 के होते ही शादी कर दी जाती थी, ऐसे समय में वो scholarship लेकर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स में पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन कर रही थीं। मोहनजीत कुछ समय के लिए न्यूयॉर्क ट्रिब्यून और बाद में न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ एक पत्रकार के रूप में काम किया और उनका कहना कि उन्हें काफी मजा भी आ रहा था। लेकिन एक दिन जब वो पेरिस में थी तो किसी ने मोहनजीत की साड़ी देखकर पूछा कि क्या वो Israel से हैं। ये बात सुनकर मोहनजीत को महसूस हुआ कि भारत के बारे में किसी को पता ही नहीं है और उन्होंने भारतीय परिधानों को विदेश में पहचान दिलवाने की सोची।
भारतीय फैशन को विदेश में पहचान दिलवाने वाली हैं मोहनजीत
अप्रैल 1964 में, वो पेरिस की एक प्रसिद्ध जगह 'रुए डे बेक' पर बुटीक स्थापित करने वाली पहली भारतीय बनीं। "ला मैले डे ल'इंडे" कहा जाता है जिसका अनुवाद "द इंडियन ट्रंक" है। उन्होंने अपने दोस्त से 10,000 फ़्रैंक का उधार लेकर अपना बिजनेस शुरू किया। वह भारतीय कपड़ों से भरे कई ट्रंक फ्रांस ले आई। फैशन में उनका खुद का कोई experience नहीं था तो , उन्होंने खुद से पेरिस में भारतीय शिल्प कौशल और कपड़ों को लोकप्रिय बनाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने पुरुषों के कपड़ों की लाल कुली शर्ट और पॉकेट बनियान से शुरुआत की और बाद में अलग- अलग रंगों में खादी कुर्ता और चिकनकारी कुर्ता पेश किया। डिज़ाइन चुनने और मिश्रण करने के लिए मोहनजीत ज्यादातर अपनी प्राकृतिक प्रतिभा पर भरोसा करती थीं।
मोहनजीत ने बोहो स्टाइल से करवाया पेरिस को रूबरू
वह पेरिस में फैशन की दुनिया में जो लेकर आईं, वह पहले कभी नहीं देखा गया था। उनकी बोहो स्टाइल को लोगों ने बहुत पसंद किया। यह उनकी रचनात्मकता और व्यक्तित्व ही था जिसने रोमेन गैरी, जीन सेबर्ग, कैथरीन डेनेउवे, यवेस सेंट लॉरेंट, जेन फोंडा, मोनाको की राजकुमारी कैरोलिन और ब्रिजेट बार्डोट जैसे नामों को नियमित रूप से उनके स्टोर में आकर्षित किया। मोहनजीत की creativity की कोई सीमा नहीं थी और जल्द ही उनके डिजाइन स्पेन, मोनाको और अमेरिका तक पहुंच गए और यहां तक कि एन टेलर और ब्लूमिंगडेल्स जैसी खुदरा श्रृंखलाओं की शोभा भी बढ़ा दी।
50 साल से ज्यादा पेरिस की फैशन इंडस्ट्री में धूम मचाने के बाद अब वो बहुत जल्द अपने घर दिल्ली में भी अपना स्टोर खोलना चाहती हैं।