
नारी डेस्क: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले से सामने आई एक ऐसी तस्वीर और वीडियो जिसने हर किसी का दिल झकझोर दिया। बच्चों को मिड-डे मील योजना के तहत खाना नहीं, बल्कि फटे रद्दी कागजों पर परोसा गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि छोटे-छोटे बच्चे स्कूल के मैदान में जमीन पर बैठे हैं, उनके सिर पर कोई छत नहीं है, और उनके सामने पुराने कागज बिछाए गए हैं, जिन पर खाना रखा गया है।
मिड-डे मील का मकसद भटक गया
मिड-डे मील योजना का उद्देश्य है बच्चों को स्वच्छ और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना। लेकिन हुल्लपुर गांव के इस सरकारी स्कूल में यह योजना लापरवाही का उदाहरण बनकर सामने आई। जानकारी के अनुसार, खाना तैयार करने और परोसने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) के पास थी। समूह की पांच में से दो महिलाएं कुछ दिनों के लिए बाहर गई हुई थीं। बचे हुए तीन सदस्यों ने समय और मेहनत बचाने के लिए बर्तन धोने की झंझट से बचते हुए पुराने प्रिंटिंग और पैकिंग वाले कागजों पर ही खाना परोसना शुरू कर दिया।
प्रशासन ने तुरंत लिया एक्शन
वीडियो वायरल होने के बाद श्योपुर के कलेक्टर अर्पित वर्मा ने तुरंत कार्रवाई की और एसडीएम को जांच के आदेश दिए। जांच में घटना की पुष्टि हुई। इसके बाद प्रशासन ने: मिड-डे मील परोसने वाले स्वयं सहायता समूह को समाप्त कर दिया। स्कूल प्रिंसिपल को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया। कलेक्टर ने साफ कहा कि “बच्चों के स्वास्थ्य और सम्मान के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
योजना अच्छी, लेकिन निगरानी जरूरी
यह घटना फिर से प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (PM Poshan) योजना की निगरानी पर सवाल खड़ा करती है। योजना का मकसद देश के हर सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल में बच्चों को स्वच्छ, पौष्टिक और अच्छा भोजन देना है। लेकिन श्योपुर की यह तस्वीरें दिखाती हैं कि यदि निगरानी सही नहीं होगी तो किसी भी योजना का असर खत्म हो सकता है।