खून के बदले आजादी देने का वादा करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है। 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक संपन्न बांग्ला परिवार में जन्मे सुभाष अपने देश के लिए हर हाल में आजादी चाहते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया और अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे।
युवा वर्ग का चेहरा थे नेता जी
‘नेताजी’ हर कीमत पर मां भारती को आजादी की बेड़ियों से मुक्त कराने को आतुर देश के उग्र विचारधारा वाले युवा वर्ग का चेहरा माने जाते थे। वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। देश की स्वतंत्रता के इतिहास के महानायक बोस का जीवन और उनकी मृत्यु भले ही रहस्यमय मानी जाती रही हो, लेकिन उनकी देशभक्ति सदा सर्वदा असंदिग्ध और अनुकरणीय रही।
स्वतंत्रता संग्राम में नेता जी का अहम योगदान
आजाद हिंद फौज की स्थापना से लेकर गोपनीय तरीके से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले नेताजी का संघर्ष, आज हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। ऐसा बताया जाता है कि अगस्त 1945 में हुए एक प्लेन हादसे में उनकी मौत हो गई थी। मगर इसके पीछे भी रहस्य की कई परते हैं, जो अभी खुल नहीं पाई हैं।
नेता जी की मौत आज भी बनी हुई है रहस्य
कई अनुमानों में सुभाष चंद्र बोस के बारे में ये भी कहा गया कि उन्हें साइबेरिया की जेलों में भेज दिया। जबकि कुछ लोगों का ऐसा मत है कि वे एक हिंदू भिक्षु के रूप में भारत लौटे थे, और यही हिंदू भिक्षु गुमनामी बाबा थे।