26 APRFRIDAY2024 4:59:49 PM
Nari

Makar Sankranti 2022: इस त्योहार का सूर्य और शनि देव से है खास कनेक्शन है, जानिए कैसे

  • Edited By neetu,
  • Updated: 12 Jan, 2022 04:21 PM
Makar Sankranti 2022: इस त्योहार का सूर्य और शनि देव से है खास कनेक्शन है, जानिए कैसे

मकर संक्रांति का पावन त्योहार इस साल जनवरी की 14 तारीख को मनाया जाएगा। माना जाता है कि पौष महीने में सूर्य देव अपने पुत्र यानी शनि देव की राशि मकर में जाते हैं। इस दिन सूर्य देव की पूजा होने के साथ जप, दान व गंगा स्नान का खास महत्व है। सूर्य के मकर राशि में जाने पर सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि पांच ग्रहों का मेल होता है। ऐसे में इस शुभ संयोग के चलते इस पावन त्योहार को मनाया जाता है। 

PunjabKesari

इसलिए कहलाई 'मकर संक्रांति' 

मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकल कर शनिदेव की राशि में गोचर करते हैं। यह भी कहा जाता है कि वे अपने पुत्र से खुद मिलने पहुंचते हैं। ऐसे में इस समय को बेहद ही खास मानने के साथ 'मकर संक्रांति' के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही इस संक्रांति में सूर्य उत्तरायण होते हैं। माना जाता है कि उत्तरायण देवताओं का दिन और दक्षिणायन रात होती है। ऐसे में सर्दी कम होकर गर्मी की शुरूआत होने लगती है। 

तो चलिए जानते हैं मकर संक्रांति से जुड़ी कथाएं...

 

शनिदेव व सूर्य देव से जुड़ी पहली कथा

इस शुभ अवसर को लेकर बहुत ही कथाएं परिचित है। श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण के अनुसार, शनिदेव अपनी पिता सूर्य देव से नाराज रहते थे। असल में, सूर्यदेव ने छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र से यमराज से भेदभाव करते देखा था। इससे नाराज होकर सूर्य देव ने छाया और शनिदेव को खुद से अलग होने को कहा था। ऐसे में इससे नाराज होकर शनिदेव और उनकी माता ने सूर्य देवता को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था।

PunjabKesari

सूर्यदेव ने जलाया शनिदेव का घर 

मगर सूर्य देव को इस रोग में देखकर यमराज बेहद दुखी हुए थे। साथ ही उन्होंने शनिदेव और देवी छाया को उन्हें ठीक करने के लिए को कहा। परन्तु वे ना माने। इससे गुस्सा होकर भगवान सूर्य ने शनिदेव के घर कुंभ को अपने अग्नि से जला दिया था। ऐसे में शनिदेव और उनकी माता को पीड़ा का सामना करना पड़ा था। 

मकर संक्रांति को तिल संक्रांति कहने का महत्व

फिर सूर्यदेव को यमराज द्वारा समझाने पर वे शनिदेव के घर गए। मगर सब कुछ जल जाने के अलावा शनिदेव के पास सिर्फ काले तिल  थे। ऐसे में उस समय शनि महाराज ने सूर्य देव की तिल से पूजा करके उन्हें खुश किया। फिर उन्होंने से शनिदेव को मकर राशि के रूप में नया घर दिया। साथ ही कहा कि, 'अब से मकर शनिदेव का दूसरा घर होगा। साथ मेरे इस राशि में प्रवेश करने से उनका घर सुख-समृद्धि से भर जाएगा। उस समय तिल के कारण शनि देव को यश, सम्मान आदि मिला इसलिए उन्हें काले तिल अतिप्रिय है। साथ ही मकर संक्रांति के दिन खासतौर पर काले तिल से पूजा की जाती है। साथ ही यह शुभ दिन 'तिल संक्रांति' भी कहलाया। 

PunjabKesari

गंगा जी से जुड़ी दूसरी कथा

इस त्योहार से दूसरी कथा गंगा माता से संबंधित है। माना जाता है कि इस दिन गंगा देवी स्वर्ग से धरती पर आई थी। कहा जाता है कि  वे अपने भक्त भागीरथ के पीछे आते हुए कपिल मुनि के आश्रम से होकर विशाल सागर में जाकर मिल गई थी। इसलिए इस दिन खासतौर गंगा नदी में स्नान करने का महत्व है। साथ ही पूर्वजों का तर्पण व आत्मा की शुद्धि भी गंगा नदी में किया जाता है।  साथ ही यहां पर मकर संक्रांति पर खास मेला आयोजित किया जाता है।

श्रीहरी से संबंधित तीसरी कथा

मकर संक्रांति से एक कथा भगवान विष्णु जी से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर  श्रीरहरि ने सभी असुरों मंदार पर्वत के नीचे दबाकर उनका अंत किया था। साथ ही युद्ध खत्म होने की घोषणा की थी। इसी खुशी में तमिलनाडु के लोग मकर संक्रांति के खास उत्सव को पोंगल के नाम के पूरे जोरों-शोरों से मनाते हैं। इसके अलावा कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के शहरों में इस पर्व को सिर्फ संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

PunjabKesari

भीष्म पितामाह के देह त्यागने से जुड़ी चौथी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल के भीष्म पितामह ने इस शुभ दिन पर ही अपनी देह का त्याग किया था। कहा जाता है कि, सूर्य का अन्य राशि में प्रवेश करने के समय में प्राण त्यागने वाली आत्मा को सीधे देवलोक में स्थान मिलता है। ऐसे में उस समय भीष्म पितामह ने सूर्य देव का मकर राशि गोचर करने का इंतजार किया था। ताकि वे इन जन्मों के बंधन से बच सके। 

इस शुभ दिन पर भगवान सूर्य देव की पूजा, गंगा स्नान, व दान का विशेष महत्व है। 


 

Related News