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जम जाती है झीलें, रूक जाते हैं रास्ते: जानिए ठंड में कैसे जीवन बिताते हैं कश्मीर के लोग?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 18 Nov, 2024 03:52 PM
जम जाती है झीलें, रूक जाते हैं रास्ते: जानिए ठंड में कैसे जीवन बिताते हैं कश्मीर के लोग?

नारी डेस्क: कश्मीर घाटी में ठंड ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, श्रीनगर शहर में न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। गुलमर्ग और पहलगाम हिल स्टेशनों में न्यूनतम तापमान क्रमश: शून्य से 3 और 2.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।विशाल चिनार के पेड़ हरे से लाल और अंत में पीले रंग में बदलने के बाद अपने पत्ते गिराना जारी रखते हैं। गिरते पत्ते कश्मीर में सर्दियों के आगमन की घोषणा करते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी ठंड में वहां के लोगाों का जीवन कैसा होता है? चलिए आज बताते हैं इसके बारे में विस्तार से। 

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 हजारों प्रवासी पक्षी सर्दी में पहुंचते हैं यहां

सर्दी की शुरुआत होते ही गर्मियों के महीनों में अपनी गर्जनापूर्ण यात्रा को छोड़कर नदियों, झरनों और कुओं में क्रिस्टल-सा साफ पानी धीरे-धीरे बहता है। बत्तख और हंस स्थानीय जल निकायों में तैरते हैं और खुद की देखभाल करते हैं। घाटी में झीलों, नदियों और अन्य जल निकायों में पक्षियों का आना शुरू हो गया है। साइबेरिया, चीन और पूर्वी यूरोप में अपने ग्रीष्मकालीन घरों की हड्डियों को कंपा देने वाली ठंड से दूर सर्दियों के महीने बिताने के लिए हर साल अक्टूबर के अंत तक हजारों प्रवासी पक्षी यहां आते हैं।

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पहले ही जमा कर लेते हैं सब्जियां

 स्थानीय लोग बैंगन, टमाटर और कद्दू सहित सूखी सब्जियां जमा करके रखते हैं, ताकि सर्दियों के महीनों में उनका इस्तेमाल किया जा सके, जब ताज़ी सब्जियां मिलना मुश्किल होता है। 'फेरन' नामक लंबे-चौड़े ओवर-गारमेंट्स लोगों की यहां पसंदीदा सर्दियों की पोशाक हैं। वहीं इस समय कांगड़ी पर बेहद भरोसा किया जाता है। यह मिट्टी का एक छोटा पात्र होता है, जिसे बेंत या लकड़ी की बाहरी संरचना में रखा जाता है। इसमें जलते हुए कोयले रखे जाते हैं, और इसे कपड़ों के नीचे या हाथों में रखा जाता है।  यह स्थानीय रूप से व्यक्तिगत हीटर के रूप में काम करता है।

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इस तरह घर को रखा जाता है गर्म

घर को  गर्म रखने के लिए बुखारी (Bukhari) का उपयोग किया जाता है।  यह लकड़ी या कोयले से जलने वाला स्टोव है, जो घर को गर्म रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह आमतौर पर कश्मीर के घरों के केंद्र में रखा जाता है। इस दौरान खिड़कियों और दरवाजों पर मोटे पर्दे लगाकर ठंडी हवा को अंदर आने से रोका जाता है। कालीन या गलीचे फर्श पर बिछाए जाते हैं ताकि ठंडी जमीन से बचा जा सके।  

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खाने का रखते हैं खास ख्याल 

इस दौरान कहवा (Kahwa) का सेवन भी खूब किया जाता है यह कश्मीरी ग्रीन टी है, जिसमें केसर, इलायची, और बादाम मिलाए जाते हैं। यह शरीर को अंदर से गर्म रखती है।सर्दियों में कैलोरी और ऊर्जा से भरपूर भोजन खाया जाता है, जैसे:  ड्राई फ्रूट्स, मटन/चिकन यखनी  बाजरे और ज्वार से बने खाद्य पदार्थ।  

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इस तरह बिताते हैं समय

लोग ज्यादा से ज्यादा घर के अंदर समय बिताते हैं।  सर्दियों में पारिवारिक और सामुदायिक मेलजोल बढ़ जाता है, क्योंकि सभी एक साथ गर्म जगहों पर समय बिताते हैं। घर के अंदर बोर्ड गेम्स, कहानियां सुनाना, और पारंपरिक गाने जैसे गतिविधियां आम हैं।  कश्मीर के लोग अपनी परंपरा, संस्कृति, और आधुनिकता का संतुलन बनाकर माइनस टेंपरेचर में भी आरामदायक जीवन जीते हैं। यह उनकी जिजीविषा और पर्यावरण के साथ तालमेल की मिसाल है।

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