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पहली कथक डांसर जिन्हें रबिन्द्रनाथ टैगोर ने दिया ‘नृत्य सम्रागिनी’ होने का खिताब!

  • Edited By Priya verma,
  • Updated: 12 Nov, 2018 02:06 PM
पहली कथक डांसर जिन्हें रबिन्द्रनाथ टैगोर ने दिया ‘नृत्य सम्रागिनी’ होने का खिताब!

मशहूर कथक डांसर सितारा देवी भारत की फेमस कत्थक नृत्यांगना थीं। उनका बचपन का नाम धन्नों था और सिर्फ 10 साल की उम्र में उन्होंने सोलो परफॉर्म करना शुरू कर दिया था। नृत्य में इतनी बारीकियों की जानकारी होने के कारण उनका नाम धन्नों से सितारा देवी पड़ गया। धन्‍नो से 'कथक क्‍वीन' बनने का उनका सफर आसान नहीं था। जानें कैसी रही सितारा देवी की जिंदगी। 

जन्म के बाद मां-बाप ने ठुकराया
मूल रूप से वाराणसी से संबंधित सितारा देवी का जन्म 8 नवंबर 1920 को कलकत्ता में हुआ। उनके पिता संस्‍कृत के विद्वान और कथक नृत्‍यकार थे और माता मत्स्य कुमार के नेपाल के शाही परिवार से संबंध थे। जन्म के समय सितारा का मुंह टेढ़ा था इस वजह से उनके मां-बाप ने सितारा का पालन-पोषण करने के लिए एक दाई को सौंप दिया। मां-बाप के ठुकराए जाने के बाद वे करीब 8 साल तक उनसे दूर रहीं। 

इस वजह से धन्नो पड़ा नाम
धनतेरस के दिन जन्म होने के कारण सितारा का नाम धनलक्ष्मी था और प्यार से उन्हें धन्नों कहकर पुकारा जाता था। 

आठ साल की उम्र में हुई शादी
सितारा पढ़ाई करना चाहती थी लेकिन महज आठ साल की उम्र में उनकी विवाह कर दिया गया। स्कूल जाने की जिद के चलते उनकी शादी टूट गई और फिर उन्होने पढ़ाई के साथ-साथ नृत्य सीखना भी जारी रखा। 

ऐसे बनी सितारा देवी
उनकी नृत्य कला के बारे में उस समय एक अखबार ने लिखा। इस खबर को पढ़कर उनके पिता की बेटी के लिए राय बदल गई। इसके बाद धन्नो का नाम सितारा देवी रख दिया गया। उन्हें नृत्य सिखाने की जिम्मेदारी बड़ी बहन तारा को दी गई। फिर सितारा ने शंभु महाराज और पंडित बिरजू महाराज के पिता अच्छन महाराज से भी नृत्य की शिक्षा ग्रहण की। इस तरह वह महज 10 साल की उम्र में नृत्य का प्रदर्शन करने लगीं। 
पित के दोस्त के सिनेमाहाल में सितारा पंद्रह मिनट की ब्रेक के दौरान अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया करती थीं।

मुंबई आकर बदली दुनिया
सितारा देवी ने मुंबई के जहांगीर में अपना पहले सार्वजनिक प्रदर्शन प्रस्तुत किया। इस तरह वे आगे बढ़ती गईं। देखते ही देखते देश-विदेश में उनका नाम बुलंदियां छूने लगा। सितारा देवी कथक, भारतनाट्यम और कई भारतीय लोकनृत्यों व शास्त्रीय नृत्य शैलियों में पारंगत थीं। इसके अलावा उन्होने रूसी बैले और पश्चिम के कुछ नृत्य भी सीखें थे।

कई अदाकाराओं को सिखाया नृत्य 
सितारा देवी कथक को बॉलीवुड में लेकर आईं थीं। उन्होंने मदर इंडिया, वतन, वतन समेत कई फिल्मों में काम किया।

टैगोर द्वारा दी गई थी नृत्य सम्रागिनी की उपाधि
सितारा देवी के प्रदर्शन को देखकर भावविभोर हुए गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्‍हें मात्र 16 वर्ष की उम्र में नृत्य सम्राज्ञी की उपाधि दी थी। 

नहीं लिया पद्मश्री पुरस्‍कार
उनकी उपलब्धि के लिए सितारा देवी को 1969 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान दिया गया। 1975 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई लेकिन उन्होने कहा कि इस जगत में उनका योगदान बहुत बड़ा है वह भारतरत्न से कम की उम्मीद नहीं रखतीं। 94 साल की उम्र में उन्‍होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।


 

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