नारी डेस्क: हिंदू धर्म में विवाह से जुड़े कई रीति-रिवाज होते हैं ,जिनके पूरे होने के बाद ही शादी संपन्न मानी जाती है। नई दुल्हन का गृह प्रवेश कराते समय कलश चावल अनुष्ठान का नियम भी इनमें से एक है। बहुत से लोगों के इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है, तो चलिए आज हम इसके बारे में बताते हैं विस्तार से
समृद्धि और धन का प्रतीक
चावल को भारतीय समाज में समृद्धि, धन और अन्न का प्रतीक माना जाता है। चावल से भरा हुआ कलश गिराने का मतलब है कि दुल्हन अपने नए घर में भरपूर अन्न, सुख और समृद्धि लेकर आ रही है। यह संकेत है कि उसके आने से घर में लक्ष्मी (धन और समृद्धि की देवी) का वास होगा और परिवार खुशहाल रहेगा।
नई शुरुआत का प्रतीक
दुल्हन का अपने ससुराल में प्रवेश नई शुरुआत का प्रतीक होता है। चावल से भरे कलश को गिराने का अर्थ है कि वह अपने ससुराल के साथ नई जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार है और परिवार की खुशहाली का हिस्सा बनने जा रही है।
परिवार की समृद्धि का विस्तार
इस परंपरा का यह भी मान्यता है कि दुल्हन जिस घर में प्रवेश करती है, वहां की समृद्धि और धन-दौलत में और वृद्धि होती है। चावल गिराने से यह संकेत मिलता है कि वह परिवार के आर्थिक और सामाजिक स्तर को भी ऊंचाई पर ले जाने में योगदान देगी। गृह प्रवेश के दौरान हर कदम पर दुल्हन को कलश से चावल गिराना शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इससे यह माना जाता है कि नए घर में उसकी हर पहल से मंगल और शुभ कार्य होंगे।
दुल्हन का स्वागत
चावल से भरा कलश गिराने का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह दुल्हन के स्वागत की एक विधि है, जिससे परिवार यह जताता है कि वह घर की नई बहू को पूरे दिल से स्वीकार कर रहे हैं और उसे समृद्धि और खुशियों की दूत मानते हैं।यह परंपरा न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी है, बल्कि यह परिवार की समृद्धि, प्रेम, और खुशी की कामना का भी प्रतीक है।