22 NOVFRIDAY2024 2:11:55 PM
Nari

क्या Covishield की तीसरी डोज लेना जरूरी, क्या होगा इस बूस्टर डोज से फायदा?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 30 Jun, 2021 11:14 AM
क्या Covishield की तीसरी डोज लेना जरूरी, क्या होगा इस बूस्टर डोज से फायदा?

कोरोना वायरस की तीसरी लहर शुरू होने से पहले टीकाकरण अभियान पर ध्यान दिया जा रहा है। भारत में तीन वैक्सीन कोवैक्सिन, कोविशील्ड औप स्पुतनिक-वी को मंजूरी दी गई है। वहीं, हर व्यक्ति को वैक्सीन की दो-दो डोज दी जा रही है। मगर, हाल ही में एक शोध में कहा जा रहा है कि कोविशील्ड (Covishield) की तीसरी डोज शरीर की एंटीबॉडी स्तर को ज्यादा बढ़ा सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वैक्सीन की तीसरी डोज भी लेनी जरूरी होगी।

इम्यूनिटी को बूस्ट करेगी कोविशील्ड की तीसरी डोज

इस नई स्टडी में कहा गया है कि कोविशील्ड की दूसरी खुराक इम्यून सिस्टम पर लंबे वक्त तक असरदार होती है। वहीं, नए क्लीनिकल ऑब्जर्बेशन में कहा गया कि इसकी तीसरी बूस्टर डोज इम्यूनिटी और इसकी प्रभावकारिता दर को बूस्ट करने में मददगार होगी।

PunjabKesari

डेल्टा वेरिएंट पर भी असरदार कोविशील्ड

हाल में हुए एक शोध में खुलासा किया गया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेकाकी कोविशील्ड वैक्सीन कोरोना वायरस के नए संस्करण डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी असरदार है।

12 हफ्तों नहीं 45 हफ्तों का गैप ज्यादा फायदेमंद

बता दें कि वैक्सीन लेने के बाद 3-4 महीने में 2 डोज दी जा रही है, जो अधिक मात्रा में एंटीबॉडी को माउंट करती है। मगर, नए शोध के मुताबिक, वैक्सीन की दो डोज के बीच 12 हफ्तों की बजाए 45 हफ्तों (10 महीने) का गैप रखने से ज्यादा बढ़िया रिस्पॉन्स मिलेगा।

​क्या हमें वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत है?

चूंकि म्यूटेशन के बाद कोरोना के नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं इसलिए वैज्ञानिक बूस्टर शॉट्स पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। अगर शरीर में एंटीबॉडीज बनी रहेगी तो संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा।

PunjabKesari

​क्यों जरूरी होगी तीसरी डोज?

कोविशील्ड अल्फा वेरिएंट (SARS-COV-2 स्ट्रेन) पर 81-90% तक असरदार है। जबकि डेल्टा पर वैक्सीन 64-70% तक असरदार है। ऐसे में माना जा रहा है कि नए वेरिएंट के खिलाफ तीसरी बूस्टर खुराक की उपलब्धता पर जोर दिया जाएगा। इससे लोग लंबे वक्त तक महामारी से बचे रहेंगे।

बूस्ट होगी हर्ड इम्यूनिटी

म्यूटेशन के बाद जब आए दिन ही कोविड-19 के नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं, तो वायरोलॉजिस्ट और महामारी विज्ञानी (epidemiologists) तेजी से बूस्टर शॉट्स पर जोर दे रहे हैं। ताकि वैक्सीन के जरिए शरीर के अंदर हमेशा एंटीबॉडीज बनी रहे। अधिक से अधिक लोगों को बूस्टर शॉट्स लगाने से हर्ड इम्यूनिटी बनेगी। साथ ही इससे इम्यून सिस्टम भी घातक वायरस के खिलाफ अटैक करने में सक्षम रहेगा।

​इनके लिए फायदेमंद होगा तीसरा डोज

किसी बीमारी के चलते जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है, छोटे बच्चों के लिए वैक्सीन की तीसरी डोज फायदेमंद साबित हो सकती है। इससे लोगों के शरीर में एंटीबॉडीज अधिक बनी रहेगी , जिससे वो बीमारी के खतरे से बचे रहेंगे।

PunjabKesari

Related News