नारी डेस्क: बनावट की दुनिया में अपनी सादगी न छोड़ो कोई बेगाना कहे या काफिर अपना जमीर न छोड़ो नदी को आजाद बहने दो रास्ता न मोड़ो। मेहनत का फल और मुसीबतों का हल जब ईश्वर के पास है तो फिर किसी की फितरत के आगे खुद को न तोड़ो।

ढूंढ़ो तो सुकून बस खुद में ही है और बाहर तो बस उलझने हजार मिलेंगी यूं ही बस सब की उम्मीदों के पीछे मत दौड़ो।
सादगी में काबलियत मिला कर जीना बड़ा मँहगा शोंक है साहिब किसी को खुश करने की खातिर अपना यह महँगा शोंक मत छोड़ो।
सादगी मत छोड़ो।। सादगी मत छोड़ो।।
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लेखिका - चारू नागपाल