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Nari

बांग्लादेश में फिर हिंदू मजदूर की हत्या, फैक्ट्री में साथी ने ही मारी गोली

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 30 Dec, 2025 06:37 PM
बांग्लादेश में फिर हिंदू मजदूर की हत्या, फैक्ट्री में साथी ने ही मारी गोली

 नारी डेस्क: बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में एक और हिंदू मजदूर की हत्या की घटना सामने आई है। 42 साल के बजेंद्र बिस्वास भालुका उपजिला के एक फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम कर रहे थे। उनके साथ काम करने वाला 29  वर्षीय नोमान मिया, जिसने कंपनी से ली गई बंदूक से उन्हें गोली मार दी, इस हत्या का आरोपी है। यह घटना दो हफ्ते में तीसरी ऐसी हत्या है जिसमें हिंदू समुदाय के लोग लक्षित हुए हैं।

घटना का विवरण

यह घटना सोमवार शाम लगभग 6:45 बजे भालुका उपजिला के लबीब ग्रुप की गारमेंट यूनिट, सुल्ताना स्वेटर्स लिमिटेड में हुई। पुलिस के मुताबिक, दोनों गार्ड फैक्ट्री में अंसार बैरक में ही रह रहे थे। बातचीत के दौरान नोमान मिया ने मजाक में या हल्के अंदाज में बिस्वास पर सरकारी शॉटगन तान दी। कुछ ही देर में गोली चल गई, जो बिस्वास की बाईं जांघ में लगी। उन्हें तुरंत भालुका उपजिला हेल्थ कॉम्प्लेक्स ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

आरोपी गिरफ्तार

भालुका पुलिस स्टेशन के इंचार्ज मोहम्मद जाहिदुल इस्लाम ने बताया कि आरोपी नोमान मिया को गिरफ्तार कर लिया गया है और घटना में इस्तेमाल की गई शॉटगन ज़ब्त कर ली गई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए मैमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है। पुलिस ने बताया कि मामले में कानूनी कार्रवाई जारी है। इस घटना के बाद भालुका इलाके में तनाव बढ़ गया है।

पिछले दो हफ्तों में हुई घटनाएं

18 दिसंबर को भी भालुका इलाके में हिंदू दीपू चंद्र दास को कथित तौर पर पीटा गया, कपड़े उतारकर जलाकर मार डाला गया था। इस प्रकार यह घटना दो हफ्ते में हिंदू समुदाय पर तीसरी हमला है।

प्रशासन और कट्टरपंथी समूहों का प्रभाव

रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथी समूहों का प्रभाव बढ़ाने और उन्हें समर्थन देने का आरोप है। सरकार में कुछ मंत्री और अधिकारी जमात-ए-इस्लामी और हिज्ब-उत-तहरीर जैसे चरमपंथी समूहों के प्रभाव में काम कर रहे हैं। हाल ही में कट्टरपंथी मंच ‘इंक़िलाब मंच’ के प्रवक्ता शरिफ उस्मान हादी की हत्या ने यूनुस नेतृत्व वाली सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस घटना से यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में बांग्लादेश में और भी जानलेवा घटनाएँ हो सकती हैं, खासकर अल्पसंख्यक समुदायों पर।   

 

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