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रूढ़िवादी सोच तोड़ने की ओर एक कदम, इस राज्य की महिला कांस्टेबल पहली बार बनेंगी बिगुलर

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 14 Apr, 2024 11:42 AM
रूढ़िवादी सोच तोड़ने की ओर एक कदम, इस राज्य की महिला कांस्टेबल पहली बार बनेंगी बिगुलर

भारत में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब लैंगिक समानता की बातें सिर्फ बातें ही नहीं रह गई हैं वो अब व्यवहार में भी नजर आ रही हैं। एक समय पर जहां महिलाएं घर में सिर्फ चूल्हा- चौंका संभालती थीं, वहीं अब वो घर से बाहर कदम रखा रही हैं और बिजनेस, स्पोर्ट्स, फैशन और एक्टिंग इंडस्ट्री में नाम कमा रही हैं। ये ही नहीं, हाल ही में हिमाचल प्रदेश में तीन महिला कांस्टेबल शिवानी, श्वेता और निशु  बिगुलर बनेंगी। हाल ही में उन्होंने अपनी ट्रेनिंग खत्म की है। बता दें, ये तीनों महिलाएं पहले पांचवीं आईआरबीएन बस्सी में सेवाएं दे रही थीं। जिसके बाद डरोह में उन्होंने 4 महीने की ट्रेनिंग पूरी की। 

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कौन होते हैं बिगुलर? 

बता दें, बिगुलर का काम फौज में बिगुल बजाने का होता है। उनकी बिगुल ध्वनि समारोहों, परेडों और अन्य आधिकारिक कार्यक्रमों के दौरान महत्वपूर्ण संकेत के रूप में काम करती है। पहले ये काम हिमाचल प्रदेश में सिर्फ पुरुष करते थे, लेकिन हिमाचल प्रदेश की ये महिलाएं भी ये किरदार निभाएंगी।  बिगुल बजाने के लिए फेफड़ों की बहुत ज्यादा शक्ति, गहरी सांस, शारीरिक और मानसिक नियंत्रण की जरूरत होती है। ये ही कारण है कि ये काम पुरुषों को दिया जाता था।  बिगुल एक महत्वपूर्ण सैन्य उपकरण भी है। ऐतिहासिक रूप से युद्ध के दौरान अधिकारियों से सैनिकों तक निर्देश देने के लिए सेवा में बिगुल का इस्तेमाल होता था। 

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रूढ़िवादी सोच तोड़ने की हिमाचल प्रदेश पुलिस की पहल

इस कदम से हिमाचल प्रदेश पुलिस की यह कोशिश रूढ़िवादी सोच को तोड़ने की है। महिला बिगुलर्स को पुलिस बल में शामिल करना न केवल विविधता के प्रति विभाग के समर्पण को बढ़ाएगी, बल्कि इससे इच्छुक महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का काम होगा। हिमाचल प्रदेश पुलिस की इन तीन महिला जवानों ने यह साबित कर दिया है कि कोई काम ऐसा नहीं है, जो महिला नहीं कर सकती। महिलाएं घर संभालने से लेकर सेना में रहकर दुश्मनों के दांत खट्टे करने तक का दम रखती हैं।
 

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