पेट के निचले हिस्से में दर्द, पीरियड्स खुलकर ना आना या वेजाइनल झिल्ली में उभार दिख रहा है तो इसे हल्के में ना लें। ये हेमेटोकोलॉज रोग का संकेत हो सकते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शारीरिक संरचना के कारण मेंस्ट्रुअल बल्ड के प्रवाह में रुकावट पैदा होती है और वो वेजाइना में ही भरकर फैल जाता है।
हेमेटोकोलॉज के कारण
हेमेटोकोलॉज का सबसे आम कारण जन्मजात अपूर्ण हाइमन है। इसके अलावा यह समस्या ट्रांसवर्स वैजाइनल सेप्टम के कारण भी हो सकती है। टीनएज लड़कियों में यह समस्या जेनिटेल ट्रैक्ट पर होती हैं।
हेमेटोकोलॉज के लक्षण
हेमेटोकोलॉज से पीड़ित टीनएज लड़कियों में देखे जा सकते हैं लेकिन ज्यादातक मामलों में 13-15 साल की उम्र में प्यूबर्टी के बाद लक्षण नजर नहीं आते।
- मेंस्ट्रुएशन शुरू होने में देरी
- लगातार पेट व पीठ के निचले हिस्से में दर्द
- वेजाइनल झिल्ली (Membrane) में उभार
- यूरिन और मल त्याग में दिक्कत
- यूरिन रिटेंशन
- प्राथमिक अमेनोरिया
शरीर के इन हिस्सों में डालता है असर?
इसके कारण पीरियड्स ब्लड वेजाइना में इकट्टा होकर फैल जाता है, जिससे यूरेथ्रा, आंतों, ब्लैडर और पेल्विक मसल्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। वहीं लंबे समय इलाज ना मिल पाने पर इससे यूरिन रिटेंशन और बार-बार कब्ज की समस्या भी हो सकती है।
हेमेटोकोलॉज की जांच
सोनोग्राफी द्वारा हेमेटोकोलॉज को डायग्नोस किया जाता है लेकिन अगर इससे बीमारी स्पष्ट ना हो तो डॉक्टर पेल्विक एरिया की MIR स्कैन करते हैं।
हेमेटोकोलॉज का इलाज
स्थिति के हिसाब से डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं, जिसे हाइमेनेक्टॉमी कहा जाता है। इसमें हाइमन/सेप्टम में क्रॉस चीरा लगाकर वेजाइना और यूट्रस में जमा मेंस्ट्रुअल बल्ड को बाहर निकाल दिया जाता है।
अगर टीनएजर लड़कियों में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो बिना देरी गाइनकॉलजिस्ट से परमार्श लें, ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके।