सफलता पाने के लिए हिम्मत के साथ खुद पर विश्वास होना भी बहुत ही जरुरी होता है न कि उम्र। सफलता के रास्ते में उम्र महज एक नंबर होता है। इस बात को साबित किया है 18 साल की पूर्णा मालावत ने। पूर्णा ने 18 साल की उम्र में अंटार्कटिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी विन्सन मासिफ पर चढ़ कर नया रिकॉर्ड बनाया है। पूर्णा सबसे कम उम्र की पर्वतारोही है जो इस पर्वत पर चढ़ी है। अब उसका लक्ष्य दुनिया के सातो महाद्वीप पर विजय हासिल करना है।
अच्छे करियर के लिए गांव से बाहर भेजी बेटी
तेलंगाना के निजामाबाद जिले के 'पकल' गांव में रहने वाली पूर्णा के पिता किसान देवीदास मालावथ चाहते थे उनकी बेटी की अच्छी परवरिश हो। वह गांव के पर्यावरण से दूर रह कर अपने जीवन में कुछ बने। इसलिए उन्होंने 10 साल की उम्र में ही उसे तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन सोसायटी में भेज दिया। गांव से दूर रहकर यहां पर पूर्णा ने बहुत कुछ सीखा और उसे नया जीवन मिला। वहीं पर पूर्णा को पर्वतारोहण वर्कशाप के लिए चुना गया जिसके बाद उन्हें इसके लिए तैयार किया गया। इस दौरान पूर्णा ने बहुत अधिक मेहनत की ओर महज 13 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर जीत हासिल की।
यह चोटियां कर चुकी है फतेह
पूर्णा 2014 में एवरेस्ट, 2016 में माउंट किलिमंजारो, 2017 में माउंट एल्ब्रस, 2019 में माउँट अकोंकागुआ, 2019 में मांउट कारस्टेंसज और विंसन मासिफ पर जीत हासिल की थी।
बन चुकी है फिल्म
मालावत के जीवन से प्रभावित होकर अपर्णा थोता ने पूर्णा नाम की एक पूरी किताब लिखी है। जिसमें उसने पूर्णा के जन्म से लेकर उसके माउंट एवरेस्ट को फतह करने की पूरी यात्रा के बारे में बताया है। वहीं उसके जीवन से प्ररेणा लेकर राहुल बोस ने 'पूर्णा : करेज हैज नो लिमिट' नामक फिल्म बनाई थी जो कि 2017 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में उसके संघर्ष और सलफता के बारे में बताया गया है।
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