नारी डेस्क: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक अनोखी पहल शुरू की गई है, जहां अब डेस्टिनेशन वेडिंग का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन देश की पहली गौशाला में होगा, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह संपन्न होंगे। इसके लिए विशेष रूप से 20 लाख रुपये की लागत से एक भव्य सांस्कृतिक मंडप तैयार किया जा रहा है। इस मंडप में हर दूल्हा-दुल्हन का विवाह पारंपरिक और धार्मिक रीति-रिवाजों से होगा। यह विवाह समारोह 22 जनवरी को आयोजित होने वाला है और इस शादी के दौरान पूरी शादी का खर्च दो से तीन लाख रुपये के बीच होगा। गौशाला के प्रबंधक ने बताया कि शादी के आयोजन में ब्राह्मणों की व्यवस्था गौशाला की तरफ से की जाएगी, और विवाह के पहले गोवंश को हरे चारे का भंडारा करना अनिवार्य होगा। इस पहल के माध्यम से ग्वालियर की गौशाला में न केवल पारंपरिक संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और संस्कारों का भी सम्मान किया जा रहा है।
डेस्टिनेशन वेडिंग का अनोखा रूप
गौशाला में विवाह के आयोजन के पीछे मुख्य उद्देश्य युवाओं को अपनी भारतीय संस्कृति और संस्कारों से जोड़ना है। इस पहल को लेकर मुरार स्थित लालटिपारा आदर्श गौशाला के संतों का कहना है कि डेस्टिनेशन वेडिंग के इस दौर में गौशाला में विवाह समारोह का आयोजन, युवा पीढ़ी को हमारे रीति-रिवाजों और भारतीय संस्कृति से जोड़ने का एक बेहतरीन प्रयास है। इस पहल को लेकर संतों का मानना है कि इससे न केवल पारंपरिक विवाह का सम्मान होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भारतीय संस्कृति की महत्ता भी समझ में आएगी। यहां शादी करने का उद्देश्य देश की संस्कृति को संरक्षित करना और उसे भविष्य की पीढ़ी तक पहुंचाना है।
बैलगाड़ी से विदाई , अनोखी शादियों का नया तरीका
गौशाला में आयोजित होने वाली शादियों की एक और खासियत यह होगी कि दुल्हन की विदाई महंगी कारों की बजाय एक खूबसूरत बैलगाड़ी में होगी। बैलगाड़ी को खास तौर पर तैयार किया गया है ताकि यह पारंपरिक भारतीय विदाई की एक सुंदर छवि प्रस्तुत कर सके। इसके अलावा, वरमाला कार्यक्रम के लिए भी पालकी का खास इंतजाम किया गया है, जो इस शादी को और भी पारंपरिक और भव्य बनाएगा। इस विवाह समारोह में मेहमानों को पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक भोजन परोसा जाएगा, जिसमें मुख्य रूप से मोटे अनाज (मिलेट्स) से बने व्यंजन होंगे। इन व्यंजनों को परोसने से न केवल भारतीय भोजन की विशेषता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह स्वस्थ जीवनशैली को भी प्रोत्साहित करेगा। साथ ही, इस आयोजन में नशा और फास्ट फूड पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। डिस्पोजल थाली और गिलास के बजाय कुल्हड़ और पत्तल का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे यह आयोजन पूरी तरह से इको-फ्रेंडली (पर्यावरण के अनुकूल) होगा।
गौशाला में सीएनजी प्लांट की व्यवस्था
इस विवाह समारोह के दौरान मेहमानों के लिए 35-40 कुटिया बनवाई जा रही हैं, जहां 10 लोग एक कुटिया में ठहर सकेंगे। इस पहल के जरिए परिवार के लोग एक कुटिया में रहकर पूरी शादी का अनुभव करेंगे। कुटिया का निर्माण इस प्रकार किया जा रहा है कि मेहमानों को गांव की परंपरागत जीवनशैली का अनुभव हो और उन्हें प्रकृति से भी जुड़ने का मौका मिले। इसके अलावा, गौशाला में एक बायो सीएनजी प्लांट भी स्थापित किया गया है, जो ग्वालियर नगर निगम के सहयोग से चलता है। इस प्लांट से बनी सीएनजी का इस्तेमाल नगर निगम द्वारा किया जाता है, जिससे यह पहल पर्यावरण को बचाने और बिजली की बचत करने में मदद करेगी। यह पहल ग्वालियर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह एक सस्टेनेबल (स्थिर और पर्यावरण के अनुकूल) आयोजन का हिस्सा है।
शादी के पारंपरिक रूप को फिर से जीवित करना
गौशाला के संत ऋषभ देवानंद महाराज ने इस पहल को लेकर कहा कि मुगलों के शासन से पहले भारत में दिन में ही विवाह कार्यक्रम होते थे, और इस पहल के द्वारा वे उस प्राचीन परंपरा को फिर से जीवित करना चाहते हैं। शादी के दिन से जुड़े पारंपरिक रीति-रिवाजों को समर्पित यह आयोजन न केवल संस्कृति की पुनरावृत्ति है, बल्कि यह लोगों को एक ऐसा अनोखा और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करेगा, जहां वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ सकेंगे।
ग्वालियर की इस गौशाला में डेस्टिनेशन वेडिंग का आयोजन एक अनोखी पहल है, जो न केवल भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों का सम्मान करती है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण हमारी ज़िम्मेदारी को भी दर्शाती है। इस तरह के विवाह समारोह से न केवल पारंपरिक भारतीय शादी के आयोजन का आनंद मिलेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी भारतीय संस्कारों और संस्कृति की ओर आकर्षित किया जाएगा। यह पहल एक नए प्रकार की शादी का उदाहरण प्रस्तुत करती है, जो आधुनिकता और पारंपरिकता का बेहतरीन मिश्रण है।