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गर्मी में भी नहीं आता पसीना? हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 13 Aug, 2025 12:28 PM
गर्मी में भी नहीं आता पसीना? हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत!

नारी डेस्क : गर्मी में पसीना आना शरीर की एक सामान्य और जरूरी प्रक्रिया है, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है। जब शरीर ज्यादा गर्म हो जाता है, तो पसीने के जरिए वह खुद को ठंडा करने की कोशिश करता है। लेकिन अगर गर्मी के मौसम में भी आपको बहुत कम पसीना आता है या बिल्कुल नहीं आता, तो यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। यह स्थिति हाइपोहाइड्रोसिस (Hypohidrosis) या एन्हाइड्रोसिस (Anhidrosis) कहलाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या अनदेखी करने योग्य नहीं है, क्योंकि इससे शरीर का तापमान असंतुलित हो सकता है और व्यक्ति को हीट स्ट्रोक जैसी खतरनाक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

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हाइपोहाइड्रोसिस (Hypohidrosis) या एन्हाइड्रोसिस (Anhidrosis)

यह एक चिकित्सकीय स्थिति है जिसमें व्यक्ति के शरीर की पसीना ग्रंथियां (Sweat Glands) ठीक से काम नहीं करतीं। सामान्य रूप से जब शरीर का तापमान बढ़ता है, जैसे गर्मी में या व्यायाम करते समय तो शरीर पसीने के जरिए तापमान को संतुलित करता है। लेकिन हाइपोहाइड्रोसिस या एन्हाइड्रोसिस होने पर यह स्वाभाविक प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।

मुख्य लक्षण

1. गर्मी में भी पसीना नहीं आना

2. स्किन पर रूखापन महसूस होना

3. गर्म वातावरण में चक्कर आना या थकावट होना

4. त्वचा का अधिक गर्म महसूस होना।

 त्वचा की बीमारियां : जब स्किन ही बन जाए पसीने की रुकावट का कारण

 पसीना त्वचा की गहराई में स्थित स्वेट ग्लैंड्स (Sweat Glands) द्वारा उत्पन्न होता है। लेकिन जब त्वचा को किसी प्रकार की क्षति होती है। जैसे जलना, गंभीर संक्रमण या किसी दुर्लभ त्वचा रोग के कारण तो यह ग्रंथियां नष्ट हो सकती हैं या उनका कार्य बाधित हो सकता है। त्वचा जलने (burn injury) के बाद, विशेषकर थर्ड डिग्री बर्न में, उस क्षेत्र की पसीना ग्रंथियां स्थायी रूप से नष्ट हो जाती हैं। ऐसे में वह हिस्सा पसीना नहीं छोड़ पाता, जिससे शरीर के तापमान को संतुलित रखने में मुश्किल हो सकती है।

मुख्य लक्षण

1. त्वचा पर असामान्य रूखापन

2. जलन या खुजली के साथ स्किन का मोटा होना

3. पसीने की मात्रा में कमी या किसी खास हिस्से पर बिल्कुल भी पसीना न आना।

 त्वचा संबंधी रोग या क्षति: जब स्किन की स्थिति बिगाड़ दे पसीने की प्रक्रिया

हमारी त्वचा सिर्फ शरीर की रक्षा करने वाली बाहरी परत नहीं है, बल्कि इसके अंदर मौजूद स्वेट ग्लैंड्स (पसीना ग्रंथियां) शरीर के तापमान को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। लेकिन यदि त्वचा को किसी कारण से गहरी क्षति पहुंचती है, जैसे जलन, संक्रमण या कोई त्वचा रोग तो यह ग्रंथियां या तो पूरी तरह नष्ट हो सकती हैं या फिर उनका कार्य धीमा हो सकता है। इसका सीधा असर पसीने की मात्रा पर पड़ता है। बता दे की तीव्र जलने पर त्वचा की गहराई में स्थित संरचनाएं, जैसे स्वेट ग्लैंड्स, पूरी तरह बर्बाद हो जाती हैं। जलने के बाद बनी नई त्वचा में अक्सर पसीने की क्षमता नहीं होती, जिससे वह क्षेत्र पसीना नहीं छोड़ता।

मुख्य लक्षण

1. प्रभावित क्षेत्र की त्वचा सूखी, मोटी या खुरदरी हो जाती है।

2. संक्रमण या सूजन के कारण त्वचा लाल और सूजी हो सकती है।

3. त्वचा प्रभावित होने के कारण असहजता या जलन महसूस हो सकती है।

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 दवाइयों का प्रभाव: जब मेडिकेशन से पसीने की प्रक्रिया प्रभावित हो

कई बार हम जिन दवाइयों का सेवन करते हैं, वे हमारे शरीर के कई सिस्टम पर असर डालती हैं। पसीना आना भी एक ऐसी प्रक्रिया है जो दवाइयों के प्रभाव से प्रभावित हो सकती है। कुछ दवाइयां पसीने की ग्रंथियों को प्रभावित कर उनकी क्रियाशीलता को कम कर देती हैं, जिससे गर्मी में भी पसीना कम आने लगता है।

कौन सी दवाइयां पसीने को कम कर सकती हैं?

1. एंटीहिस्टामिन (Antihistamines): एलर्जी और सर्दी-खांसी में ली जाने वाली दवाइयां, जो शरीर के स्वेटिंग सिस्टम को दबा सकती हैं।

2. अवसादरोधी दवाइयां (Antidepressants): इनमें से कुछ दवाइयां नर्व सिस्टम पर असर डालकर पसीना कम कर सकती हैं।

3. ब्लड प्रेशर की दवाइयां (Antihypertensives): विशेषकर कुछ β-ब्लॉकर्स और डाययूरेटिक्स (पानी की गोली) भी पसीने को प्रभावित कर सकती हैं।

4. एंटीकॉलिनर्जिक्स (Anticholinergics): ये दवाइयां तंत्रिका संकेतों को रोकती हैं, जिससे पसीने की ग्रंथियों का सक्रिय होना कम हो जाता है।

ऑटोइम्यून रोग: जब शरीर अपनी ही ग्रंथियों पर हमला करता है

ऑटोइम्यून रोग वे स्थिति होती हैं जिनमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) गलती से अपने ही ऊतकों और अंगों पर हमला करने लगती है। ऐसे कई रोग हैं जो त्वचा और पसीना बनाने वाली ग्रंथियों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे गर्मी में भी पसीना कम या बिल्कुल नहीं आता।

मुख्य लक्षण

1. त्वचा का सूखापन और खिंचाव

2. गर्मी में पसीना कम आना या बिल्कुल न आना

3. थकावट, जो सामान्य से अधिक हो

4. त्वचा का मोटा या सख्त होना

 डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण): जब शरीर पानी की कमी के कारण पसीना रोकता है

डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण तब होता है जब शरीर में पानी की मात्रा आवश्यक स्तर से कम हो जाती है। शरीर के अधिकांश कार्यों के लिए पानी बहुत जरूरी होता है, जिसमें तापमान नियंत्रित रखना भी शामिल है। लेकिन जब पानी की कमी हो जाती है, तो शरीर अपनी बचत मोड में चला जाता है और पसीने का उत्पादन कम कर देता है।

मुख्य लक्षण

1. पसीने का उत्पादन कम हो जाना

2. त्वचा का रूखा और गर्म महसूस होना

3. चक्कर आना, कमजोरी और थकावट

4. गंभीर मामलों में हीट स्ट्रोक का खतरा

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उपाय:

खूब पानी पिएं, हल्के और ढीले कपड़े पहनें, सीधे धूप में जाने से बचें, डॉक्टर से परामर्श लें यदि लक्षण बढ़ें।

 

गर्मी में पसीना नहीं आना एक साधारण बात नहीं है। यह शरीर के थर्मोरेगुलेशन सिस्टम में खराबी का संकेत हो सकता है। यदि यह समस्या लगातार बनी रहे, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है। समय पर इलाज से गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।

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