वैसे तो पति पत्नी के बीच तू-तू मैं-मैं होना आम बात है, लेकिन कई बार यह झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि रिश्ता टूटने के कगार पर पहुंच जाता है। इस सब का सबसे ज्यादा असर पड़ता है बच्चों पर। कई बार मां-बाप झगड़े के दौरान शब्दों की मर्यादा का ख्याल भी नहीं रखते और इनकी ये बातें बच्चों के काेमल मन पर बहुत गहरा और नेगेटिव प्रभाव डाल देती हैं।
बच्चों को रखें झगड़ों से दूर
हाल में उच्चतम न्यायालय ने भी माता पिता के बीच विवाद से बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर चिंता जताई है। न्यायालय ने कहा- पति-पत्नी के बीच चाहे जो भी विवाद हो, लेकिन किसी भी संतान को इससे कठिनाईं नहीं होना चााहिये । कई बार देखा गया है कि जिन परिवारों में माता-पिता में कहा-सुनी या लड़ाई-झगड़े होते हैं, वहां बच्चे काफी असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा इस सब से दूर रहे तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
-कोशिश करें कि लगाई-झगड़े की स्थिति ही पैदा न हो
-अपने अहम को दर-किनार करते हुए बच्चों पर ध्यान दें।
-बच्चों को अपनी लड़ाई का हिस्सा न बनाएं।
-बच्चे के सामने ही एक-दूसरे की बेइज्जती न करें।
-झगड़े में अपशब्द ना बोलें।
-एक-दूसरे के साथ चीख-चिल्लाकर बात न करें।
-बच्चों के आगे ही एक दूसरे से माफी मांगें।
बच्चों पर होता है ये असर
जो बच्चे अकसर मां- बाप के झगड़े के गवाह बनते हैं उनके मन में डर बैठ जाता है और उनमें असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है। इससे उनका शारीरिक-मानसिक विकास भी रुक जाता है। पेरेंट्स् के लागातार झगड़ों की वजह से बच्चों में पर्सनैलिटी डिसऑर्डर भी पैदा हो सकता है। ऐसे में बच्चों में आत्मविश्वास व आत्मसम्मान में कमी भी हो जाती है, जिससे आगे चलकर उसकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ प्रभावित होती है।
परिवार से कटने लगते हैं बच्चे
जिन घरों में मां-बाप के बीच काफी झगड़े होते हैं, वहां बच्चे परिवार से कटने लगते हैं। जब वे कुछ बड़े हो जाते हैं, तो घर में ज्यादा समय बिताना पसंद नहीं करते। वे अलग-थलग रहने लगते हैं। बच्चे अक्सर यह मानने लगते हैं कि उनके पेरेंट्स के बीच होने वाली लड़ाई का कारण वह हैं। यह बात उन्हें इमोशनली बहुत ज्यादा परेशान करती है।