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अस्थमा, कैंसर और हार्ट अटैक का कारण बनता है पटाखों का धुआं, यूं रखें बचाव

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 01 Nov, 2018 03:57 PM
अस्थमा, कैंसर और हार्ट अटैक का कारण बनता है पटाखों का धुआं, यूं रखें बचाव

पटाखों से हानि : दीवाली फेस्टिव पर पटाखों की आवाज सुनाई ना दे यह हो नहीं सकता क्योंकि लोगों का मानना है कि बिना पटाखे चलाए उनकी दीवाली अधूरी है लेकिन शायद आप इस बात की ओर इतनी सजगता से ध्यान नहीं दे रहे कि बिना सांस के जीना मुश्किल ही नामुमकिन है। पटाखों से निकला धुआ वातावरण को इस कद्र दूषित करता है। दूषित वातावरण का सीधा असर आपकी सेहत पर पड़ता है। इस समय दिल्ली व पंजाब जैसे साथ लगते राज्य बढ़ते वायु प्रदूषण की चपेट में हैं, जिसके चलते दमा, कैंसर, स्किन प्रॉब्लम जैसी कई बीमारियां सामने आ रही हैं। इसके अलावा भी लोग कई तरह की हैल्थ प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं।

 

1. धुएं के दुष्परिणाम
वातावरण में पटाखों के धुएं से एक दूषित परत बन जाती हैं, जिससे सांस लेने में दिक्कत, आंखों में लालगी, जलन, स्किन इरीटेशन जैसे प्रॉब्लम सबसे ज्यादा सामने आती हैं जबकि बच्चे, बूढ़े, गर्भवती महिला और दिल व दमा के मरीज इसके जल्दी शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण से बढ़ता पीएम का 2.5 स्तर, सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। इसमें पाए जाने वाले प्रदूषणकारी कण रक्तनलिका में पहुंचकर खतरनाक बीमारियां पैदा करते हैं। हवा में पीएम 2.5 की मौजूदगी का 0-60 तक का स्तर सेहत के लिए सुरक्षित माना जाता है।

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प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों को नुकसान
धुएं के सम्पर्क में आने से प्रेग्नेंसी में भी कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं। नवजात बच्चे को सांस संबंधी समस्याओं के साथ-साथ यह गर्भपात के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है। वहीं छोटे बच्चे धुए की वजह से स्किन एलर्जी, आंखों में जलन व लालगी के शिकार हो सकते हैं।

 

आंख और गले  में इरिटेशन 
धुएं से हवा में पीएम के बढ़ते लेवल आंख, नाक और गले में एलर्जी और इरिटेशन की समस्या सामने आ सकती है। यह जानलेवा धुआ, सर्दी जुकाम और एलर्जी का कारण भी बन सकता है। इसके अलावा इससे छाती व गले में कन्जेशन भी हो सकता है। धुएं से आंखों में लालगी, गले में खराश, फेफड़ों में सूजन संबंधी प्राब्लम्स हो सकती हैं।

 

अस्थमा अटैक का खतरा
दमा या किसी भी तरह की सांस व स्किन की एलर्जी से पीड़ित मरीज  पटाखों से दूर रहें। पटाखों में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस फूलने के साथ फेफड़ों में सूजन भी करते हैं। पटाखों के धुएं में मौजूद विषाक्त कणों के फेफड़ों तक पहुंचने से अस्थमा या दमा का अटैक आ सकता है। दमा मरीजों को ऐसे वातावरण में सतर्क रहने की जरूरत है। 

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हार्टअटैक का बढ़ता खतरा
पटाखों में लैड नामक रसायन मौजूद होता है, जिससे हार्टअटैक और स्ट्रोक का खतरा  बढ़ जाता है। पटाखों से निकलने वाला धुएं का सांस के जरिए शरीर में जाने से खून के प्रवाह में रुकावट आने लगती है। दिमाग तक पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने के कारण व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो सकता है। ऐसे में हार्ट अटैक के मरीजों को भी खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है।

 

कैंसर का खतरा
पटाखे को रंग-बिरंगा बनाने के लिए रेडियोएक्टिव जैसे कई जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। ये पदार्थ धुएं के साथ मिलकर सांस के जरिए शरीर में चले जाते हैं। इससे कैंसर होने का भय बना रहता है।

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स्किन एलर्जी
बढ़ते प्रदूषण से स्किन एलर्जी में त्वचा में लाल चकते, खुजली और स्किन कैंसर जैसी प्रॉब्लम का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। 

 

तनाव और हाई ब्लड प्रेशर 
धुआं सिर्फ आपकी सेहत ही खराब नहीं करता बल्कि शोर से कुछ लोग तनाव के शिकार भी होते हैं। तनाव के अलावा हाई ब्लड प्रेशर, सुनने में परेशानी, कमजोर याददाश्त, अनिद्रा आदि जैसी समस्याएं भी सामने आ सकती हैम।  पटाखों का हानिकारक धुआं और शोर दिल व दिमाग दोनों पर बुरा असर डालती है।

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2. धुआरहित पटाखों का करें चुनाव
अगर आप बच्चों को खुश करने या शौक के लिए कुछ समय के लिए पटाखे चलाना चाहते हैं तो मार्कीट में इको-फ्रैंडली पटाखे उपलब्ध हैजिसमें धुआ ना के बराबर निकलता हो। बड़े पटाखें होंगे तो धुआं और धमाका भी उतना ही अधिक होगा इसलिए इन्हें चलाने से परहेज करें और वातावरण को शुद्ध रखने में अपना योगदान दें।
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3. पटाखों व प्रदूषण से बचने के लिए बरतें सावधानियां
-कोशिश करें कि आप पटाखें न जलाएं या उनका कम इस्तेमाल करें।
-सांस लेने में परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
-त्यौहारों के दौरान स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
-थोड़ी-थोड़ी देर बाद पानी पीते रहें, ताकि शरीर हाइड्रेटिड रहें और प्रदूषण से नुकसान न हो।
-आंखों पर चश्मा लगाकर पटाखें जलाएं क्योंकि इससे आंखों को बचाना बहुत जरूरी है।
-अगर आप सांस के मरीज हैं तो अपने साथ हमेशा इन्हेलर रखें।
-घर के खिड़की दरवाजे बंद रखें और एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें, ताकि घर की हवा दूषित न हो।
-प्रदूषण व पटाखों के धुएं से बचने के लिए मुंह को कपड़े या मास्क से ढक लें।

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