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रूढ़ीवादी सोच की बेड़ियां तोड़ ड्राइवर बनीं Dipta Ghosh, घर संभालने के लिए उठाया ये कदम

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 15 May, 2023 12:04 PM
रूढ़ीवादी सोच की बेड़ियां तोड़ ड्राइवर बनीं Dipta Ghosh, घर संभालने के लिए उठाया ये कदम

आज की महिलाएं पुराने रीति रिवाजों और सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर ने सिर्फ आग बढ़ रही हैं बल्कि खुद का एक मुकाम भी बना रही हैं। कई लोगों के लिए मिसाल पेश कर रही हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है कोलकता की महिला उबर कैब ड्राइवर दीप्ता घोष की। इंजीनियर से कैब ड्राइवर बनीं दीप्ता रूढ़ीवादी सोच की बेड़ियां तोड़ रही हैं। पिता की मौत के बाद दीप्ता ने मां और छोटी बहन को छोड़कर दूर न जाने की वजह से अच्छी नौकरी तक छोड़ दी। उनका कहना है कि वह किसी और नौकरी या किसी कंपनी में काम नहीं करना चाहती क्योंकि वह अपनी खुद की बॉस हैं।

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पिता की मौत के बाद नौकरी छोड़कर बनीं ड्राइवर

दीप्ता ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक की थी। 6 साल के करियर में कई अच्छी कंपनियों में उन्होंने नौकरी की। इस बीच उनका करियर भी बुलंदियों पर था, लेकिन 2020 में पिता की मौत के बाद सब कुछ बदल गया। दीप्ता के परिवार में उनकी मां और एक छोटी बहन हैं। दीप्ता के मुताबिक सभी नौकरियां ऐसा थीं, जिनके लिए उन्हें कोलकता से बाहर जाना पड़ता । वो अपनी मां और बहन को कोलकाता में अकेले नहीं छोड़ना चाहती थीं।

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2021 में हासिल किया कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस

दीप्ता ने 2021 में कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस हासिल किया। उनका कहना है  कमर्शियल लाइसेंस मिलने पर मां ने कैब ड्राइविंग शुरू करने का सुझाव दिया। कैब ड्राईविंग में महारत हासिल करने के लिए उन्हें तीन माह का वक्त लगा। फिलहाल वह सप्ताह में छह दिन कैब चलाती हैं। रोजाना 6 से 7 घंटे ड्राइविंग करके लगभग 35,000 से 40,000 रुपये प्रति माह कमाती हैं। वो कोई और नौकरी या किसी कंपनी के लिए काम नहीं करना चाहती क्योंकि वह अपनी खुद की बॉस है और डिवाइस को लॉग ऑफ करके ड्यूटी से जा सकती है। 

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