मां बनना एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है। लेकिन इस दौरान महिलाओं को कई सारे फिजिकल और इमोशनल changes से भी गुजरना पड़ता है। जहां महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान अपना खूब ख्याल रखती हैं, वहीं डिलीवरी के बाद वो अपने बच्चे की देख- रेख में लग जाती हैं और अपना ख्याल रखना भूल ही जाती हैं। लेकिन डिलीवरी के बाद महिलाओं का शरीर बहुत नाजुक होता है और इसे रिकवर होने में वक्त लगता है। फिर चाहे डिलीवरी ऑपरेशन से हुई हो या नॉर्मल। बच्चे के जन्म के कम से कम 40 दिन तक महिलाओं को जरूरत होती है अपना ख्याल रखने की। आइए आपको बताते हैं डिलीवरी के 40 दिन बाद क्या करना चाहिए।
डिलीवरी के बाद 40 दिन तक बरतें ये सावधानियां
इंटरनल सैनिटरी प्रोडक्ट्स
इस दौरान इंटरनल सैनिटरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से बचें। बच्चे के जन्म देने के बाद, महिलाओं के प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग होती है, जो 2 से 6 सप्ताह तक रह सकती है। इसे दौरान मैटरनिटी पैड या सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा होता है। टैम्पोन या मेन्स्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से बचें क्योंकि प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से जुड़ा हुआ है और वो घाव ठीक होने में समय लगता है। ऐसे में इन चीजों के इस्तेमाल से इंफेक्शन हो सकता है। ध्यान रखें कि इस दौरान पैड नियमित रूप से बदलें और फिर अपने हाथ साफ करें। प्राइवेट पार्ट को गुनगुने पानी से साफ करें।
फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर दें ध्यान
डिलीवरी के बाद महिलाएं जहां शारीरिक रूप से कमजोर होती हैं, वहीं वो postpartum depression में भी जा सकती है। इसलिए अपनी फिजिरल और मेंटल हेल्थ का ध्यान रखें। इस समय पर ध्यान रखें कि दवाएं लेने के बाद भी कहीं दर्द बढ़ तो नहीं रहा। इसके अलावा टांके चेक करें कि कहीं स्नाव तो नहीं हो रहा। वहीं लगातार सिरदर्द, बुखार, बदबूदार प्राइवेट पार्टी से स्नाव, हैवी और लगातार ब्लीडिंग जैसी समस्याएं होने पर एक्सपर्ट से बात करें।
ना करें हैवी एक्सरसाइज
कम से कम डिलीवरी के बाद 6 हफ्ते तक कोई हैवी एक्सरसाइज ना करें। एक्सपर्ट की सलाह लेने के बाद ही लाइट एक्सरसाइज करें, वरना मांस फटना, कमर दर्द, ब्लीडिंग और टांकों पर प्रेशर आ सकता है।
विटामिन से भरपूर डाइट लें
प्रेग्नेंसी के बाद शरीर को हेल्दी डाइट की जरूरत होती है ताकि वो जल्दी रिकवर कर पाए। इसलिए विटामिन से भरपूर चीजें और फ्रूट्स खाएं।
कब्ज से बचें
कई सारी महिलाओं को डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या होती है। इस वजह होती है खिंचाव, प्रसवोत्तर बवासीर, हार्मोनल परिवर्तन, दवाएं आदि। इससे बचने के लिए डॉक्टर से सलाह लें। इसके अलावा खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं और खूब पानी पीएं।