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बेटियों का हक नहीं छीन सकता कोई, पिता की कमाई संपत्ति पर उनका भी पूरा अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 21 Jan, 2022 05:03 PM
बेटियों का हक नहीं छीन सकता कोई, पिता की कमाई संपत्ति पर उनका भी पूरा अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने बेटियों के हक को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के अनुसार  ​बिना वसीयत के मृत हिंदू पुरुष की बेटियां पिता की स्व-अर्जित और अन्य संपत्ति पाने की हकदार होंगी और उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों की अपेक्षा वरीयता होगी।

 

​Supreme court का बड़ा फैसला


-बिना वसीयत के मरने वाले पिता की संपत्ति पर बेटियों का भी हक

-बेटियों को पिता के भाइयों के बच्चों की तुलना में संपत्ति में  मिलेगी वरीयता 

​-मृत पिता की संपत्ति का बंटवारा आपस में कर सकेंगे बच्चे

-पैतृक संपत्ति में अपनी बेटी को अधिकार से वंचित नहीं कर सकता पिता

-पैतृक संपत्ति के मामले में भी बेटी को बेटे से कहीं भी नहीं आंका जाएगा कम 

-किसी दंपति का बेटा ना हाेने पर स्व-अर्जित संपत्तियों पर बेटी का अधिकार चचेरे भाई के मुकाबले  होगा ज्यादा। 


पारिवारिक संपत्ति पर भी बेटियों का पूरा हक 

उच्चतम न्यायालय का यह फैसला मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर आया है जो हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत हिंदू महिलाओं और विधवाओं को संपत्ति अधिकारों से संबंधित था। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि वसीयत के बिना मृत किसी हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति चाहे वह स्व-अर्जित संपत्ति हो या पारिवारिक संपत्ति के विभाजन में मिली हो, उसका उत्तराधिकारियों के बीच वितरण होगा। 


पीठ ने लिखा 51 पृष्ठों का फैसला

पीठ ने इसके साथ यह भी कहा कि-  ऐसे पुरुष हिंदू की बेटी अपने अन्य संबंधियों (जैसे मृत पिता के भाइयों के बेटे/बेटियों) के साथ वरीयता में संपत्ति की उत्तराधिकारी होने की हकदार होगी। पीठ किसी अन्य कानूनी उत्तराधिकारी की अनुपस्थिति में बेटी को अपने पिता की स्व-अर्जित संपत्ति को लेने के अधिकार से संबंधित कानूनी मुद्दे पर गौर कर रही थी। न्यायमूर्ति मुरारी ने पीठ के लिए 51 पृष्ठों का फैसला लिखते हुए इस सवाल पर भी गौर किया कि क्या ऐसी संपत्ति पिता की मृत्यु के बाद बेटी को मिलेगी जिनकी वसीयत तैयार किए बिना मृत्यु हो गयी और उनका कोई अन्य कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हो।

 

बेटे के बराबर मिलता है बेटियों को अधिकार

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में बेटे और बेटी को बराबर का अधिकारी माना है। कोई भी संपत्ति में जितना अधिकार बेटे को मिलता है उतना ही बेटी को मिलता है। बेटा यह पक्ष नहीं ले सकता है कि बेटी की शादी हो गई है उसे उसकी पति की संपत्ति में अधिकार मिल गया है यह बात कोई भी बात बेटा नहीं बोल सकता।  बेटी स्पष्ट रूप से पिता की अर्जित की गई संपत्ति में दावा कर सकती है अगर उसके पिता ने संपत्ति के बारे में कोई व्यवस्था नहीं की और उसकी मृत्यु हो जाती है।

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