शरीर में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं लेकिन कुछ रोग ऐसे होते हैं जो सिर्फ महिलाओं को ही होते हैं जैसे गर्भाश्य का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, पीरियड्स आदि। वैज्ञानिकों के अनुसार, सौंदर्य प्रसाधनों में पाए जाने वाले थैलेट्स- रसायनों से जुड़े हैं, इन रसायनों को गर्भाश्य फाइब्रॉएड से जोड़ा गया है। गैर कैंसर वाले ट्यूमर जो बीज के आकार से लेकर सॉकर बाल तक होते हैं जो गर्भाश्य में या उसके आस-पास बढ़ते हैं। 30-35 उम्र की महिलाओं में गर्भाश्य के कैंसर की बीमारी तेजी से फैल रही है। यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो समस्या भी बढ़ सकती है।
घरेलू उत्पादों में पाए जाने वाले रसायन बनते हैं गर्भाश्य कैंसर का खतरा
सैंकड़ों घरेलू उत्पादों में पाए जाने वाले रसायनों के संपर्क में आने से कई साबुन और शैंपू गर्भाश्य फाइब्रॉएड का जोखिम बढ़ा सकता है। शोध के अनुसार, ये रसायन जिन्हें थैलेट्स के रुप में जाना जाता है यह फ्राइब्रॉएड का कारण बन सकते हैं।
गर्भाश्य फाइब्रॉएड क्या है?
गर्भाश्य में फाइब्रॉएड एक आम समस्या है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, फाइब्रॉएड के कोई लक्षण नहीं होते लेकिन फाइब्रॉएड की संख्या और आकार अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं...
. वजन का कम होना
. लगातार पेशाब
. बदबूदार डिस्चार्ज
. पेशाब से खून आना
. यूरिन में दर्द
. पीरियड्स के अलावा ब्लीडिंग होना।
क्या होता है गर्भाश्य का कैंसर?
महिलाओं में गर्भाश्य का कैंसर तब फैलता है जब एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं असामान्य रुप से बढ़ने लगती हैं। गर्भाश्य की अंदरुनी परत को ही एंडोमेट्रियम कहते हैं। एंडोमेट्रियम की कोशिकाओं के असामान्य रुप से बढ़ने के कारण भी गर्भाश्य का कैंसर हो सकता है। गर्भाश्य का कैंसर को बच्चेदानी का कैंसर भी कहते हैं।
कैंसर के प्रमुख कारण
. शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोरोन के स्तर में बदलाव
. माहवारी के समय होने वाला इंफेक्शन
. हार्मोन्स असंतुलित के कारण या गर्भनिरोधक गोलियां खाने के कारण
ऐसी महिलाओं को रहता है खतरा
. जिन महिलाओं को मेनोपॉज 55 साल के बाद हुआ हो
. जिन्हें पीरियड्स 15 से पहले शुरु हो गए हो।
. पीसीओएस और डायबिटीज से जूझ रही महिलाओं को खतरा