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पूजा- अनुष्ठान में है गोबर के कंडे का खास महत्व, घर के नकारात्मक दोष होते हैं खत्म

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 05 Nov, 2023 07:16 PM
पूजा- अनुष्ठान में है गोबर के कंडे का खास महत्व, घर के नकारात्मक दोष होते हैं खत्म

हिंदू धर्म में गाय तो माता कहा जाता है और उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि गौ माता में देवी- देवताओं का वास होता है। वहीं गो मूत्र और गोबर को भी पवित्र माना जाता है। गाय का गोबर से बनने वाले कंडे या उपले पूजा- पाठ और हवन के कार्यों में इस्तेमाल होते हैं। वहीं इनसे कई सारे उपाय भी किए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर गाय के गोबर या कंडे का पूजा- पाठ में क्या महत्व हैं? चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में...

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गोबर के कंडे का धार्मिक महत्व

कहा जाता है कि साधु- संत मिट्टी और गाय के गोबर से ही स्नान करते थे। धार्मिक कार्यों में भी गोबर से भूमि को लेपकर शुद्ध किया जाता था। धार्मिक मान्यता है कि गाय के गोबर में माता लक्ष्मी का वास होता है। शास्त्रों में गाय के मुख वाले भाग को अशुद्ध और पीछे वाले भाग को शुद्ध माना गया है, इसलिए गाय के गोबर, गोमूत्र और दूध सभी उपयोगी होते हैं।

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पूजा- अनुष्ठान में क्यों जरूरी है गोबर के कंडे

- वास्तु शास्त्र के अनुसार गोबर के कंडे जलाने पर जो धुंआ होता है, वो बहुत ही पवित्र होता है। इससे घर में मौजूद सारी नकारात्मक शक्तियां बाहर चली जाती है और घर में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है।

- पूजा- पाठ और हवन में गोबर के कंडे या उपले जलाने से पूजा का पूरा फल मिलता है और घर में सुख- समृद्धि का वास होता है।

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- गोबर के कंडे में कपूर या घी डालकर जलाना शुभ होता है। इससे घर पवित्र होता है और देवी- देवताओं का वास होता है।


 

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