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कहीं रेप तो कहीं कुत्तों का अटैक.... अपने घराें के बाहर भी सुरक्षित नहीं है बच्चे, कौन है इसका जिम्मेदार?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 25 Nov, 2025 01:29 PM
कहीं रेप तो कहीं कुत्तों का अटैक.... अपने घराें के बाहर भी सुरक्षित नहीं है बच्चे, कौन है इसका जिम्मेदार?

नारी डेस्क:  आज के समय में बच्चों की सुरक्षा एक बहुत बड़ी चिंता बन चुकी है। कभी रेप, कभी कुत्तों का अटैक तो कभी अपराधी तत्वों का खतरा बच्चे अब अपने  घरों के बाहर भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं माने जा रहे हैं। पंजाब के जालंधर में 13 साल की बच्ची के साथ हुई घटना ने  हर माता-पिता को डर और चिंता में डाल दिया है, सिर्फ रेप ही नहीं देश में बच्चों पर कुत्तों के अटैक करने के मामले भी कम नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि बच्चे सुरक्षित कहां हैं?  आइए समझते हैं कि हालात इतने खराब क्यों हो रहे हैं और बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या कदम जरूरी हैं।

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बच्चों को घर के बाहर क्यों नहीं मिल रही सुरक्षा?


स्कूल जाते समय, पार्क में खेलते हुए या ट्यूशन जाते हुए बच्चों पर हमले, छेड़छाड़ और यौन अपराधों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। अपराधी अक्सर छोटे बच्चों को आसान टारगेट मानते हैं। आजकल माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं कई सोसाइटियों या कॉलोनियों में CCTV या सिक्योरिटी गार्ड की उचित व्यवस्था नहीं होती। बच्चे बाहर खेलते या घूमते समय बिना निगरानी के रह जाते हैं और इसका अपराधी फायदा उठा लेते हैं। 


 स्ट्रे डॉग अटैक में बढ़ोतरी

कई शहरों में आवारा कुत्तों की संख्या बहुत बढ़ चुकी है। बच्चों को खेलते समय दौड़ाने या काटने की घटनाएं आम हो गई हैं। छोटे बच्चे खुद को बचा नहीं पाते, इसलिए वे सबसे ज्यादा घायल होते हैं। बच्चों को आवारा कुत्तों के पास जाने, छेड़ने या खाना देने से रोके। स्थानीय प्रशासन से पट्टा अभियान और वैक्सीनेशन की मांग करें।

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 इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अपराध
 
कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं जहां बच्चे ऑनलाइन ग्रूमिंग, ब्लैकमेल और गलत लोगों के संपर्क में आ जाते हैं। फिर अपराधी ऑफलाइन भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में माता- पिता बच्चों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रखें। उन्हें अजनबियों से बात न करने की सख्त हिदायत दें।


समाज में बढ़ती असंवेदनशीलता

कई लोग बच्चों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेते। शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है या देर से कार्रवाई की जाती है। अगर  बच्चा डरने लगे,  अचानक चुप हो जाए, बाहर जाने से मना करे शरीर पर खरोंच, काटने या चोट के निशान या वह किसी खास व्यक्ति से दूरी बना रहा है तो माता-पिता को यह संकेत नजरअंदाज नहीं करने चाहिए।  ये सब किसी खतरे का संकेत हो सकता है।


बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय 


 3 साल से ऊपर के बच्चों को यह समझाना चाहिए कि कौन उन्हें कहां छू सकता है और कौन नहीं। कोई भी गलत हरकत हो तो तुरंत "NO", "RUN", "TELL" का अभ्यास करवाएं। छोटे बच्चों को हमेशा किसी बड़े या भरोसेमंद व्यक्ति के साथ भेजें।स्कूल, ट्यूशन और पार्क के रास्ते सुरक्षित रखें।  सोसाइटी और कॉलोनी में सुरक्षा बढ़ाएं, CCTV कैमरे,  सिक्योरिटी गार्ड, स्ट्रीट लाइट, गेटेड एंट्री यह सब अनिवार्य होना चाहिए।
बच्चे को आत्मरक्षा (Self-Defense) की ट्रेनिंग जरूर दें ।  कराटे, ताइक्वांडो या बेसिक सेल्फ-डिफेंस कौशल उन्हें तनाव में भी बचा सकता है।
 

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