अफगानिस्तान पर जब से तालिबान का कब्जा हुआ है तब से वहां के लोगों की हालत बेहद दयनीय बनीं हुई हैं। अफगानी लोग तालिबान के कानूनों से बचने के लिए अपना देश छोड़ अन्य देशों में शरण लेने पर मजबूर हो गए हैं। बता दें कि अब तक लाखों अफगानी लोग अपना देश छोड़ चुके हैं।
अपना बसा बसाया घर छोड़कर जाने वाले इन लोगों की हालत का अंदाजा आप ब्रिटिश सेना के एक सार्जेंट के पोस्ट से लगा कता है। दरअसल एक रॉयल एयरफोर्स के एक सार्जेंट ने अफगानियों की पीड़ा और लाचारी को उजागर किया है। उन्होंने काबुल से ब्रिटेन जा रही इवैक्यूएशन फ्लाइट में दो हफ्ते के बच्चे को अपनी गोद में रखा, ताकि उसकी थकी हुई मां को आराम मिल सके।
रॉयल एयरफोर्स के एक सार्जेंट ने बयां की अफगानी लोगों की हालत
एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, सार्जेंट ऐंडी लिविंगस्टोन की नजर फ्लाइट में मौजूद पांच ऐसे लोगों पर गी जो तालिबान से बच कर भाग रहे थे जिसके परिवार में माता-पिता और उनके तीन बच्चे थे। इन सबने काबुल में हुए आत्मघाती हमले के कुछ घंटों बाद ही फ्लाइट बोर्ड की थी बता दे कि इस हादसे में 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
मां अपने दो हफ्ते के बच्चे को उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन
एक इंटरव्यू में सार्जेंट ने बताया कि वे सब इतने थक चुके थे कि मैं उनकी हालत बयां नहीं कर सकता। इस दौरान मैंने देखा कि प्लेन के फर्श पर कुछ है, जब मैंने ध्यान से देखा तो मां अपने दो हफ्ते के बच्चे को उठाने की कोशिश कर रही थी। जब मां के हाथ से बच्चा फिर फिसलकर गिर गया तो लिविंगस्टोन, जो खुद दो बच्चियों के पिता हैं, ने परिवार से कहा कि कुछ देर बच्चे को उन्हें दे दें। ताकि बच्चे की मां थोड़ी देर आराम कर सकें।
बच्चे के कान पर हैडफोन लगाए ताकि एयरफ्राफ्ट की आवाज से उठ न जाए
बच्चे को प्यार और बड़ी सावधानी से पकड़े लिविंगस्टोन की तस्वीर अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। वहीं लिविंगस्टोन ने बच्चे के कान पर हैडफोन भी लगा दिए ताकि एयरफ्राफ्ट की जोरदार आवाज से वह उठ न जाए।
महिला इतनी थकी थी कि वह अपने बच्चे को गोद में नहीं ले पा रही थी
लिविंगस्टोन ने बताया कि मैंने एक ऐसे बच्चे को पकड़ा हुआ था, जिसका वजन न के बराबर था। आप सोचिए वह बेचारी महिला कितनी थकी थी कि अपने ही बच्चे तक को गोद में नहीं ले पा रही थी। मैं खुशनसीब हूं कि उनकी मदद कर सका।