गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है लेकिन लोग बप्पा को घर लाने की तैयारियां कई दिनों पहले ही शुरू कर देते हैं। हर कोई अपनी इच्छाअनुसार बप्पा को घर में रख कर सेवा करता है। इसके बाद गणेश विसर्जन के दिन विधि-विधान से बप्पा की विदाई की जाती है। वैसे तो भगवान गणेश का हर रूप शुभकारी, मंगलकारी और विघ्न नाशक है लेकिन मनोकामना पूर्ति के लिए मूर्ति खरीदतें समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सही दिशा में स्थापित करें मूर्ति
. ध्यान रखें कि जहां आप मूर्ति स्थापित कर रहे हो वहां दूसरी कोई मूर्ति ना हो।
. गणेशजी की मूर्ति हमेशा घर के ब्रह्म स्थान यानि बीचो-बीच स्थापित करनी चाहिए।
. गणेशजी की सूंड उत्तर दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है।
. इसके अलावा मुख्य दरवाजे पर दोनों तरफ बप्पा की मूर्ति लगाने से नेगिटिव एनर्जी घर में प्रवेश नहीं करती।
धन-समृद्धि के लिए घर लाएं ऐसी गणेश प्रतिमा
बैठे हुए गणपति बप्पा की मूर्ति घर के लिए शुभदायी मानी जाती है। माना जाता है कि इससे घर में कभी भी पैसों की किल्लत नहीं होती। वहीं, खड़े हुए बप्पा की मूर्ति को सफलता और तरक्की का सूचन माना जाता है।
ऐसी हो गणेशजी की सूंड
गणेशजी की ऐसी मूर्ति खरीदें जिसमें उनकी सूंड बाई तरफ हो क्योंकि ऐसी प्रतिमा को वक्रतुंड कहा जाता है। माना जाता है इससे घर में कोई भी परेशानी नहीं आती। वहीं, मान्यता है कि जिसमें बप्पा की सूंड दाएं तरफ हो उससे मनोकामना पूर्ति में देरी होती है।
मूर्ति में जरूर हो ये चीज
ध्यान रखें कि बप्पा की मूर्ति के साथ उनका वाहक मूशक, एक हाथ में दंत, एक हाथ में लड्डू या मोदक, अंकुश जरूर हो। वहीं बप्पा का एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में होना चाहिए। दरअसल, शास्त्रों में देवी-देवताओं का आवाहन इसी स्वरूप में किया जाता है।
सभी कष्ट दूर करेगी बप्पा की ऐसी मूर्ति
मान्याता है कि घर में आराम करते हुए गणेशजी की मूर्ति स्थापित करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। वहीं सिंदूरी या सफेद रंग वाले गणेशजी सुख-समृद्धि के दायक माने गए हैं।
संतान प्राप्ति के लिए लाएं ऐसी प्रतिमा
घर में बाल स्वरुप भगवान गणेश स्थापित करने से संतान प्राप्ति के भाग खुलते हैं। वहीं नृत्य करते हुए गणेशजी की प्रतिमा से घर में आनंद और उत्साह का माहौल बना रहता है।
ऐसी मूर्ति भूलकर भी ना लाएं
माना जाता है कि घर में केमिकल्स वाली मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। इसकी बजाए मिट्टी या धातु की मूर्ति स्थापित करें।