
नारी डेस्क: राजस्थान के बाड़मेर जिले के देदावास गांव का गोलिया गांव आज गर्व महसूस कर रहा है। क्योंकि यहां से पहली बार किसी लड़के ने डॉक्टर बनने का सपना साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। जोधाराम नाम के इस होनहार छात्र ने NEET परीक्षा पास करके अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है। यह उपलब्धि पूरे गांव के लिए गर्व का पल बन गई है। कई साल पहले जोधाराम के परिवार की हालत बेहद खराब थी। खेती के सहारे गुजारा करना मुश्किल हो गया था। कम बारिश और बढ़ते कर्ज ने हालात को और भी खराब कर दिया। साल 2010 में उनके पिता नरिंगारामजी ने बेटे को एक सख्त फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि या तो वह 10वीं बोर्ड परीक्षा में 70 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाए या फिर पढ़ाई छोड़कर मुंबई जाकर मजदूरी करे।
जोधाराम का डर और पहला नतीजा
साल 2012 में जोधाराम ने परीक्षा दी लेकिन वह 70 प्रतिशत की जगह 65 प्रतिशत अंक ही ला सके। उन्हें डर था कि अब उनके पिता उन्हें आगे पढ़ाई नहीं करने देंगे। लेकिन किस्मत उनके साथ थी और ऐसा नहीं हुआ। जोधाराम के बड़े भाई मेवाराम ने उनका साथ दिया। उन्होंने परिवार को समझाया और जोधाराम के सपनों पर भरोसा जताया।

इसके बाद जोधाराम ने जोधपुर के के.आर. पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया। OBC वर्ग से होने के कारण उनकी फीस में भी कुछ राहत मिल गई।
पहली बार सुना NEET का नाम, प्रिंसिपल ने दिखाई राह
11वीं और 12वीं की पढ़ाई के दौरान स्कूल के प्रिंसिपल कुपारामजी ने उनकी मेहनत को देखकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने की सलाह दी। उस समय तक जोधाराम ने कभी NEET परीक्षा का नाम भी नहीं सुना था। जब उन्होंने इसका सिलेबस देखा तो उसे देखकर डर गए। उन्हें लगने लगा कि यह परीक्षा बहुत कठिन है और शायद वह इसे पास नहीं कर पाएंगे। लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और तैयारी शुरू कर दी।
बार-बार मिली असफलता लेकिन नहीं टूटा हौसला
जोधाराम को पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। यहां तक कि लगातार चार बार असफलता का सामना करना पड़ा। अपने चौथे प्रयास में उन्होंने 12903 रैंक प्राप्त की। इसके बाद कोटा में कोचिंग करने का मौका मिला और फीस में भी कुछ छूट मिली।

आखिरकार पांचवीं कोशिश में मिली सफलता
कोटा में रहते हुए जोधाराम ने कड़ी मेहनत की और पूरे मन से पढ़ाई की। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और पांचवें प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 3886 (AIR 3886) हासिल की। अब जोधाराम का सपना है कि वह डॉक्टर बनकर ग्रामीण इलाकों में सेवा करें जहां स्वास्थ्य सेवाएं कम हैं।