
नारी डेस्क: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भगवान विष्णु के प्रसिद्ध धाम बद्रीनाथ मंदिर के कपाट मंगलवार, 25 नवंबर 2025 को शीतकाल के लिए विधि-विधान से बंद कर दिए गए। हर साल की तरह इस वर्ष भी सर्दियों की शुरुआत के साथ मंदिर के कपाट छह महीने के लिए बंद किए गए हैं।
किस समय हुए कपाट बंद?
मंगलवार दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर पूजा, अनुष्ठान और मंत्रोच्चार के साथ कपाट बंद किए गए। इसके साथ ही बद्रीनाथ धाम की वार्षिक यात्रा आधिकारिक रूप से समाप्त हो गई।
अब 6 महीने कहां होंगे भगवान बद्रीविशाल के दर्शन?
परंपरा के अनुसार कपाट बंद होने के बाद भगवान बद्रीविशाल की पूजा जोशीमठ में स्थित नरसिंह मंदिर में की जाती है। यह पूजा अगले 6 महीने तक यहीं चलेगी, जब तक यात्रा फिर से शुरू नहीं होती।
क्यों बंद किए जाते हैं कपाट?
बद्रीनाथ धाम हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में स्थित है, जहां सर्दियों में मौसम अत्यंत कठोर होता है।
भारी बर्फबारी
अत्यधिक ठंड
रास्तों का बंद हो जाना
इन परिस्थितियों में भक्तों का मंदिर तक पहुँचना संभव नहीं होता। इसी कारण हर साल नवंबर में धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
कब खुलेंगे कपाट?
बद्रीनाथ धाम को खोलने की तिथि अक्षय तृतीया के अवसर पर निर्धारित की जाती है। आमतौर पर हर साल अप्रैल या मई में मंदिर दोबारा अपने भक्तों के लिए खोला जाता है।
चारधाम यात्रा में बद्रीनाथ का महत्व
चारधाम यात्रा का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव बद्रीनाथ धाम माना जाता है। कहा जाता है कि बद्रीनाथ के दर्शन के बिना चारधाम यात्रा अधूरी रहती है। शास्त्रों में इसे दूसरा वैकुंठ भी कहा गया है।
क्या है बद्रीनाथ यात्रा की मान्यता?
मान्यताओं के अनुसार यहां दर्शन करने से जीवन के दुख दूर हो जाते हैं। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण इसे मोक्ष द्वार कहा गया है। प्रसिद्ध कहावत: “जो जाए बदरी, वो न आए ओदरी”
स्थानीय मान्यता के अनुसार कहा जाता है
“जो जाए बदरी, वो न आए ओदरी” अर्थात जो भक्त बद्रीनाथ धाम के दर्शन करता है, उसे पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता और वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।