यूपीएससी के एग्जाम हर साल होते हैं जिसमें कई लाखों लोग अटेंप्ट करते हैं, लेकिन चुनाव सिर्फ कुछ ही लोगों का होता है। ये एग्जाम बहुत ज्यादा टफ होता है और दिन- रात की कड़ी मेहनत के बाद ही लोग इसमें एग्जाम को पास कर पाते हैं। जहां अच्छे- अच्छे लोगों का इस एग्जाम को पास करने में पसीने छुट जाते हैं। लेकिन एक महिला ऐसी भी हैं जिनके कद के चलते उन्हें बचपन से कई सारे तानें सुनने पड़े पर उन्होंने हार नहीं मानी और पहले अटेंप्ट में ही एग्जाम पास सब की बोलती बंद कर दी। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में...
कौन हैं आरती डोगरा?
आरती डोगरा एक महिला आईएएस अधिकार हैं, जिनका कद साढ़े तीन फुट का है। आरती का जन्म उत्तरखंड के देहरादून में हुआ था। उनके पिता का नाम कर्नल राजेंद्र डोगरा है और मां कुमकुम डोगरा हैं, जाकि एक प्राइवेट स्कूल में प्रधानाध्यापुका रहा चुकी हैं। वो अपनी माता- पिता की इकौलती संतान है। उनकी कम हाइट की वजह से उन्हें बचपन से ही कई सारे ताने सुनने पड़े। लोग उनका मजाक बनाते थे। लेकिन माता- पिता ने हमेशा आरती का समर्थन किया। उन्हें आम बच्चों की तरह पाला और उसकी हर मांग को पूरा किया। आरती ने अपनी शुरुआती शिक्षा ब्राइटलैंड स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। बाद में देहरादून से ही मास्टर्स की डिग्री हासिल की और यूपीएसी की तैयारी शुरू कर दी।
आईएएस बनने के पीछे की वजह
इसी दौरान आरती की मुलाकात उस समय आईएएस रही मनीषा पंवार से हुई। मनीषा ने उनका मार्गदर्शन किया और पहले ही अटेंप्ट में आरती डोगरा ने यूपीएसी का एग्जाम पास कर लिया। साल 2006 बैच के राजस्थान कैडर में वो आईएएस अफसर हैं। उन्होंने पहले डिस्कॉम की मैनेजिंग डायरेक्टर रहीं, बाद में अजमेर के जिलाधिकारी के पद पर तैनात हुईं, जिसके बाद उन्होंने लोगों की भलाई के लिए बहुत सारे काम किए।
आरती की उपलब्धियां
-बीकानेर की जिलाधिकारी के तौर पर उन्होंने ‘बंको बिकाणो’ नामक अभियान की शुरुआत की, जिसमें ‘खुले में शौच ना करने’ के लिए कहा गया।
-आरती ने कई गांव में पक्के शौचालय बनवाए, जिसकी मॉनीटरिंग मोबाइल सॉफ्टवेयर के जरिए की जाती थी।
-यह अभियान 195 ग्राम पंचायतों में चलाया गया।
-बंको बिकाणो की सफलता के बाद आरती डोगरा को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कई पुरस्कार मिले।
-आरती जोधपुर डिस्कॉम में निदेशक के पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस हैं।