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शान भरी जिंदगी छोड़ 8 साल की लड़की ने चुनी सन्यास की राह, ठुकराई हीरा कारोबारी पिता की संपत्ति

  • Edited By palak,
  • Updated: 18 Jan, 2023 05:26 PM
शान भरी जिंदगी छोड़ 8 साल की लड़की ने चुनी सन्यास की राह, ठुकराई हीरा कारोबारी पिता की संपत्ति

सोशल मीडिया पर आए दिन कोई न कोई नई चीज सुनने की मिलती है। ऐसी ही एक अजीबो गरीब घटना गुजरात से सामने आ रही है। 8 साल की उम्र में डायमंड कारोबारी की बेटी देवांशी संघवी ने पिता की संपत्ति छोड़ सन्यास की राह चुन ली है। जिस उम्र में बच्चे खेलों और फोन में अपना समय बिताते हैं वहीं सांघवी ने इन सब चीजों का मोह छोड़ सन्यास ले लिया है। देवांशी हीरा कारोबारी धनेश सांघवी की बेटी है। वह करीबन 367 दीक्षा कार्यक्रमों में भाग ले चुकी हैं, जिसके बाद उन्होंने जैन धर्म की ओर रुख करते हुए सन्यास लेने का फैसला लिया है। देवांशी को जैन धर्म के आचार्य विजय कीर्तियशूसरि ने दीक्षा दिलवाई है। 

सन्यास धारण करने के प्रति हुई प्रेरित

रिपोर्ट्स की मानें तो, हीरा कारोबारी के बेटी देवांशी संघवी ने 367 दीक्षा कार्यक्रमों में भाग लिया जिसके बाद वह सन्यास धारण करने के प्रति प्रेरित हुई है। देवांशी के एक फैमिली दोस्त ने बताया कि उसने आज तक क भी भी टीवी नहीं देखा और न ही मूवी और तो और वह कभी रेस्टोरेंट भी नहीं गई। 

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पिता हीरा कंपनी के हैं मालिक 

देवांशी गुजरात के सूरत जिले के सबसे पुराने हीरा बनाने वाली कंपनियों में से एक संघवी और संस के पितामह कहे जाने वाले मोहन संघवी के इकलौते बेटे धनेश संघवी की बेटी हैं। धनेश संघवी जिस हीरा कंपनी के मालिक हैं उस कंपनी की दुनियाभर में कई सारी शाखाएं है और सारा टर्नओवर करीब सौ करोड़ तक का है। देवांशी की एक छोटी बहन भी है जिसका नाम काव्या है। 

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परिवार शुरु से ही था धार्मिक 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हीरा व्यापारी धनेश और उनका परिवार भले ही काफी धनवान हैं लेकिन उनका लाइफस्टाइल बहुत ही सरल और सादा है। उनका परिवार शुरु से ही धार्मिक रहा है। देवांशी भी बचपन से ही दिन में तीन बार प्रार्थना के नियमों का पालन करती हैं। 

बचपन से था वैराग्य की ओर झुकाव 

देवांशी 8 साल की हैं उन्हें हिंदी, अंग्रेजी समेत कई सारी भाषाएं आती है। देवांशी संगीत, डांस और योगा में भी काफी टैलेंटेड हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो देवांशी का बचपन से ही वैराग्य की ओर झुकाव था। इसी कारण उसने छोटी उम्र से ही गुरुओं के साथ रहना शुरु कर दिया। 

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