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वुमेन प्रॉब्लमः PCOS से राहत दिलाएंगे ये 5 योगासन

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 24 Jun, 2019 10:43 AM
वुमेन प्रॉब्लमः PCOS से राहत दिलाएंगे ये 5 योगासन

PCOS यानि पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, महिलाओं को होने वाला एक रोग है। इसके कारण महिलाओं को अनियमित पीरियड्स और प्रेग्नेंसी के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं अगर समय रहते इलाज ना किया जाए तो यह कैंसर और ओवरी में अल्सर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है। वैसे तो इस बीमारी में डॉक्टरी इलाज के साथ-साथ खान-पान पर खास देने की जरूरत होती है लेकिन आप इस समस्या से निजात पाने के लिए योग का सहारा भी ले सकते हैं।

 

क्या है PCOS?

PCOD और PCOS, इस परेशानी में ओवरी बड़ी हो जाती है और फॉलिकल सिस्ट बहुत छोटा हो जाता है।हार्मोनल इमबैलेंस के चलते,  ओवलुशन की प्रक्रिया पर असर पड़ता है। पहले PCOD और भी अनदेखी करने पर समस्या बढ़ने पर यह परेशानी PCOS में बदल जाती है। इसका कारण काफी हद तक तनाव और गलत खान-पान है।

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क्यों फायदेमंद है योग?

स्वस्थ आहार के अलावा, योग भी पीसीओएस को ठीक करने में मदद करता है। पीसीओएस के प्रबंधन के लिए एक लंबा रास्ता तय कर सकता है। योगा पोज और मुद्रा के अभ्यास से गर्भाशय के साथ ग्रंथियों जैसे कि थायराइड व पैरा-थायरॉयड ठीक तरह से काम करते हैं। इससे इस बीमारी का खतरा काफी हद तक कम होता है। वहीं पीसीओएस का एक कारण तनाव भी है, जोकि योग से दूर रहता है।

 

चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताते हैं, जिससे ना सिर्फ पीसीओएस बल्कि कई अन्य समस्याएं भी दूर होंगी।

भुजंगासन (Bhujangasana - Cobra pose)

इस आसन को करने के लिए जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। अपने हाथों को योगा मैट और पसलियों के साथ रखें। फिर सामान्य सांस लेते हुए हथेली पर दबाव डालें। इसके बाद धीरे-धीरे सिर व छाती को ऊपर की तरफ उठाएं। कुछ देर इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।

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फायदे

-पीसीओएस वाली महिलाओं में पाचन संबंधी समस्याओं को हल करता है।
-पाचन क्रिया और ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने में मदद करता है।
-इससे पेल्विक और पेट की मांसपेशियां स्ट्रेच होती हैं।

बलासन (Balasana - Child's Pose)

इसके लिए घुटनों के बल बैठकर अपनी एड़ी (वज्रासन) के भार बैठे और घुटनों को फैलाएं। इस बात का ध्यान रखें कि आपके पैर फर्श को छू रहे हों। इसके बाद आगे की तरफ झुके और रीढ़ की हड्डी को सीधा करें। इसके बाद अपनी बाजूओं को आगे की तरफ सीधा कर लें और हथेलियों को फर्श से लगााएं। इस स्थिति में सामान्य सांस लेते हुए कुछ देर रूकने के बाद नार्मल हो जाएं।

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फायदे

-यह आसन तनाव कम करता है और मासिक धर्म की ऐंठन से राहत देता है
-इससे पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सामान्य रहता है।

पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana - Seated forward bend)

यह आसन करने के लिए अपने पैरों को फैलाकर सीधे बैठें। फिर गहरी सांस लें और बाजू को ऊपर की ओर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से आगे की ओर झुकें। घुटनों को मोड़े बिना अपनी बाजुओं को जितना हो सके उतना आगे की तरफ बढ़ाएं। कुछ देर ऐसे रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।

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फायदे

-यह आसन पीठ के निचले हिस्से और हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करता है।
-इससे हार्मोन्स संतुलित रहते हैं, जिससे पीसीओएस का खतरा कम होता है।

बद्ध कोणासन (Bhadrakonasana - Butterfly Pose)

सबसे पहले जमीन पर बैठकर सांस छोड़ें और अपने घुटनों को मोड़ें। दोनों पैरों के पंजों को आपस में मिलाएं और फिर उन्हें हाथों से पकड़ लें। इसके बाद घुटनों को फर्श से लगाने की कोशिश करें। इस मुद्रा में आप 2 से 3 मिनिट के लिए रहें और फिर सामान्य हो जाएं।

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फायदे

-यह आसन कमर और पेल्विक की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है।
-इससे तनाव और मासिक धर्म की परेशानी दूर होती हैं।

सेतुबंधासन (Setu Bandhasana - Bridge Pose)

इस आसन को करने के लिए घुटनों के बल झुककर अपने पैरों के बल जमीन पर लेट जाएं। फिर बाजू को शरीर से साथ सीधा करके रखें। इसके बाद अपने पैरों को हिप-चौड़ाई की दूरी पर रखें और उन्हें अपने शरीर के करीब लाएं। अब सांस छोड़ते हुए हथेलियों को नीचे दबाएं और अपने कूल्हों ऊपर की तरफ उठाएं। 8-10 की गिनती करते हुए ऐसे ही रूके और फिर बॉडी को रिलीज कर दें।

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फायदे

-इससे कोर और पैल्विक मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
-इस आसन को करने से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।

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