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लॉकडाउन में नहीं निकली एक भी दिन बाहर, घर में पीस रही आटा-मसाले

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 04 May, 2020 11:18 AM
लॉकडाउन में नहीं निकली एक भी दिन बाहर, घर में पीस रही आटा-मसाले

डॉक्टर्स, नर्सेज, अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी जहां कोरोना की जंग जीतने की कोशिश कर रहे हैं वहीं लोग घर में रहकर इस लड़ाई में अपनी सहयोग दे रहे हैं। मगर, लॉकडाउन की वजह से गरीब व जरूरतमंद लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि कुछ ऐसे लोग भी है जो इस मुश्किल घड़ी में भी प्रेरणा बनकर उभरे हैं।

लॉकडाउन में एक भी दिन बाहर नहीं निकली यह महिला

ऐसी ही एक महिला है घीसी देवी। बिलाड़ा के बडेर बास में रहने वाली 75 साल की घीसी देवी अपने बेटे के साथ रहती हैं। लॉकडाउन की वजह से उनकी रोजी रोटी बंद हो गई लेकिन वह एक दिन भी घर से बाहर नहीं निकले। यहां तक कि वो राशन लेने या आटा पिसवाने के लिए भी घर से बाहर नहीं आए। घीसी देवी खुद घर में रखी सालों पुरानी चक्की में आटा पीस रहीं है।

75-year-old Gheesi Devi did not come out of her house in lockdown, she was grinding herself with flour and spices for years.

15 साल की उम्र में सीखा था यह काम

उन्होंने बताया कि आम दिनों में भी वह घर पर ही आटा पीस लेती हैं और अब तो बाहर जाने की मनाही है। उन्होंने 15 साल की उम्र में ही अपनी मां खमु से आटा पीसना सीख लिया था। उनकी दो बेटियों की शादी हो चुकी हैं और अब घर में सिर्फ मां-बेटे ही हैं। पिछले एक महीने में वह करीब 30 कि.लो. गेहूं व बाजरी पीस चुकी हैं। उन्हें 1 कि.ग्रा. गेहूं पीसने में करीब 1 घंटे का समय लग जाता है।

घर पर हीं पीसती हैं मसाले भी

यही नहीं, वह दालें भी खुद घर पर ही बना लेती हैं। साथ ही मिर्च, धनिया, हल्दी जैसे मसाले भी बाजार से लाने की बजाई घर में ही पीसाई करती है। घीसी देवी ने बताया कि घटी के आटे से बनी रोटी स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी अच्छी होती है।

घटी फेरने से बीमारियां रहती हैं दूर

उन्होंने कहा, "मेरा अनुभव है कि घटी फेरने वाली महिलाओं को कभी अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे गर्भवास्था में भी महिला को किसी समस्या का सामना भी नही करना पड़ता।"

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