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शादीशुदा होने के बावजूद भी इतिहास की इन स्त्रियों को माना जाता है कुंवारी!

  • Updated: 26 Dec, 2017 10:47 AM
शादीशुदा होने के बावजूद भी इतिहास की इन स्त्रियों को माना जाता है कुंवारी!

शादी के बाद हर लड़की की जिंदगी में कई तरह के बदलाव आते है। शादी के बाद हर लड़की महिलाओं की श्रेणी में शामिल हो जाती है लेकिन पुराणों में कुछ महिलाएं तो थी शादीशुदा, पर उन्हें आज तक कुंवारी माना जाता है। पुराणों में मौजूद इन महिलाओं के लिए कन्या शब्द का उपयोग किया गया है, नारी शब्द का नहीं। पति के अलावा अन्य पुरुष से संबंध होने पर भी इन स्त्रियों ने अपने रिश्तें को पूरी ईमानदारी से निभाया, जिसके कारण इन्हें कौमार्या माना गया है। आज हम आपको पुराणों के इतिहास में मौजूद कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताने जा रहें है जिन्हें शादी के बाद भी कुंवारी ही समझा जाता है। चलिए जानते हैं आखिर क्यों इन महिलाओं को शादी के बाद भी कुंवारी समझा जाता हैं।
 

1. अहिल्या
पद्मपुराण के अनुसार ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या को कुंवारी समझा जाता है। एक बार देवराज इंद्र की नजर देवी अहिल्या पर पड़ी और वे उन पर मोहित हो गए। जब गौतम ऋषि स्नान और पूजन करने के लिए घर से गए तो इंद्र उनका रूप लेकर वहां पहुंच गए और मौके का फायदा उठाकर अहिल्या से संबंध बनाए लकिन ऋषि ने इन्हें गलत समझ शाप दे दिया। पति के प्रति पूरी निष्ठावान होने पर भी उन्होंने शाप को स्वीकार कर लिया, जिसके कारण उन्हें कौमार्या माना गया है।

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2. मंदोदरी
मंदोदरी की बुद्धिमानता और सुंदरता देखकर रावण ने उनसे विवाह किया था। रावण की मौत के बाद श्रीराम के कहने पर विभीषण ने मंदोदरी को आश्रय दिया। मंदोदरी के गुण के कारण उन्हें महान माना गया है और उनकी पवित्रता कन्याओं की तरह मानी गयी है।

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3. द्रौपदी
पांच पतियों की पत्नी होने पर भी द्रौपदी का व्यक्तित्व काफी मजबूत था लेकिन इसके बावजूद उन्हें कुंवारी कन्याओं की श्रेणी में माना जाता है। जीवनभर द्रौपदी ने पांचों पांडवों का हर परिस्थिति में साथ दिया और कभी किसी एक पति के साथ रहने की जिद्द नहीं की। अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से निभाने वाली द्रौपदी का स्मरण धर्म ग्रंथों में महापाप को नाश करने वाला माना गया है।

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4. कुंती
हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी कुंती ने शादी से पहले ऋषि दुर्वासा के मंत्र से सूर्य का ध्यान करके पुत्र की प्राप्ती की। शादी के बाद पांडु की मौत के बाद कुंती ने वंश खत्म न हो जाए इसलिए उसी मंत्र का दोबारा इस्तेमाल करके अलग-अलग देवताओं से संतान पाप्ती की, जिसके कारण उन्हें कौमार्या माना गया है।

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