काफी संख्या में विदेशी पर्यटकों ने भी इस अनोखी होली को देखा।
काशी के मणिकर्णिका घाट पर मंगलवार को जलती चिताओं के बीच लगभग एक घंटे चिता भस्म की होली खेली गयी।
पिछले 24 वर्षों से यह परंपरा निभाई जा रही है और महाश्मशान की होली की तैयारी छह माह पहले से शुरू हो जाती है
इस पारंपरिक उत्सव को काशी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच मनाया जाता हैं जिसे देखने दुनिया भर से लोग काशी आते हैं।
काशी के मणिकर्णिका घाट पर मंगलवार को श्रद्धालुओं और नागा साधुओं ने जलती चिताओं के बीच ‘चिता भस्म' की होली खेलने की अनूठी परंपरा मनाई।
इस दौरान नागा साधुओं ने त्रिशूल और तलवार लिये नृत्य किया और एक नागा साधु ने गले में नर मुंडों की माला डालकर तांडव किया।