हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को खास केयर की जरूरत पड़ती है। उसके खान-पान से लेकर उठने-बैठने की हर चीज का खास ख्याल रखना पड़ता है, तभी मां और बच्चा, इस 9 माह के लंबे समय के दौरान हैल्दी रहते हैं। इस रिस्क के दौरान होने वाली छोटी सी गलती मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
क्या होती है हाई रिस्क प्रेग्नेंसी?
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी यानी मां और बच्चे से जुड़ी सेहत संबंधी समस्याओं का अधिक होना। यह रिस्क कई तरह के हो सकते हैं जैसे बच्चे का विकास धीमी गति से, समय से पहले लेबर पेन (प्रसव पीड़ा), खून ना बनना, डायबिटीज आदि। इसलिए इस दौरान महिला को अपना विशेष ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। सही बचाव से ही वह अपने आने वाले बच्चे को सुरक्षित रख सकती है।
किन महिलाओं को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा
1. सेहत से जुड़ी दिक्कतें
जिन महिलाओं को सेहत से जुड़ी ये प्रॉब्लम्स पहले से ही है। जैसे मधुमेह, कैंसर, हाई ब्लड प्रैशर, किडनी से जुड़ी समस्या, अस्थमा, दिल से जुड़ी समस्या या फिर मिर्गी के दौरे पड़ना। ऐसी महिलाओं की प्रेग्नेंसी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की लिस्ट में ही आती हैं क्योंकि यह बच्चे पर अपना बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। महिला को एच.आई.वी या हेपेटाइटिस सी जैसे किसी भी प्रकार का संक्रमण हुआ हो।
हाई ब्लड प्रैशर
हाई ब्लड प्रैशर से ग्रस्त महिला कंसीव तो करती हैं लेकिन उन्हें कई तरह के जोखिमों का सामना करना पड़ता हैं और खुद का खास ख्याल भी रखना पड़ता है। अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, महिला व बच्चे के गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है।
पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (PCOS)
पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (PCOS) एक ऐसा विकार है जो गर्भवती होने और गर्भवती रहने के लिए एक महिला की क्षमता को कम कर सकता है। वहीं पीसीओएस गर्भपात की उच्च दर, गर्भावधि मधुमेह, प्रीक्लेम्पसिया, और समय से पहले प्रसव के खतरे को बढ़ा सकता है।
डायबिटीज
डायबिटीज की वजह से गर्भावस्था के पहले कुछ हफ्तों के दौरान बर्थ डिफेक्ट पैदा कर सकता है जो अक्सर महिलाओं को गर्भवती होने से पहले पता ही नहीं होता है कि उनको डायबिटीज है। गर्भावधि के दौरान होने वाले मधुमेह से रक्त में शर्करा बहुत अधिक हो जाती है जो अजन्मे बच्चे के लिए अच्छा नहीं होती। यहीं वजह एक हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का कारण बन सकती है।
गुर्दे की बीमारी
गुर्दे की बीमारी के साथ महिलाओं को अक्सर गर्भवती होने में कठिनाई होती है, और इसमें गर्भपात का जोखिम अधिक होता है। गुर्दा रोग वाली गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त उपचार, आहार और दवा में परिवर्तन और डॉक्टर के पास सही समय पर चेकअप करवाना जरूरी हो जाता है।
थायराइड की समस्या
थाइराइड की समस्या भी महिला के गर्भधारण में मुश्किलें खड़ी करती है। अगर प्रेग्नेंसी हो भी जाए तो वह रिस्की लिस्ट में ही रहती है।
2. नशीले पदार्थों का सेवन करने वाली महिलाएं
जो महिलाएं धूम्रपाम, एल्कोहल या अन्य किसी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन करती हैं। उनकी प्रेग्नेंसी भी हाई रिस्क में शामिल है क्योंकि इन चीजों का मां और बच्चा दोनों पर असर पड़ता है।
3. ओवरवेट और मोटी औरतें
ओवरवेट या मोटापे की शिकार महिलाओं की प्रेग्नेंसी भी हाई रिस्क होती है क्योंकि इन महिलाओं में हाई ब्लड प्रैशर, थाइरायड, डायबिटीज जैसे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
4. एक से ज्यादा बच्चों को जन्म देना (मल्टीपल बर्थ)
यदि महिला जुड़वां या अधिक बच्चों की मां बनने वाली हो। यह बच्चे हाई रिस्क बेबी होते हैं, जिनके समय से पहले होने का खतरा अधिक रहता है।
5. बार-बार गर्भपात
महिला का पहले दो या उससे अधिक बार गर्भपात हुआ हो। इन महिलाओं का अधिक देर तक बच्चा गर्भ में टिक नहीं पाता। इसी वजह से इनकी प्रेग्नेंसी भी हाई रिस्क में रहती है।
6. उम्र के कारण हाई रिस्क प्रेग्नेंसी
छोटी या बड़ी उम्र में प्रेग्नेंसी कंसीव करना भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में शामिल है। 18 से कम और 35 से ज्यादा उम्र की महिलाओं में एनीमिया की कमी और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या अधिक होने लगती हैं। किशोराव्स्था में लेबर पेन ज्यादा उम्र वाली महिलाओं की अपेक्षा में जल्दी आती है।
- वंदना डालिया